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काँपते पत्ते / लघुकथा

"सुनो , कुछ कहना है " बड़ी हिम्मत करके पति की तरफ देखा उसने ।
" क्या हुआ अब , आज फिर माँ से कहा-सुनी हो गई है क्या ?" उन्होंने पूछा ।
" अरे नहीं , माँ से कुछ नहीं हुआ । बात दीपू की है " उसने तीखे स्वर में कहा ।
" अब उसने क्या कर दिया "
" वो ..."
" वो क्या , अरे बताओ भी , किसी से सिर फुट्व्वल करके तो नहीं आया है " उन्होंने तमतमाये चेहरे से पूछा ।
" कैसी बात करते है आप , अपना दीपू वैसा नहीं है " वह एकदम से कह उठी ।
" तो कैसा है , अब तुम्हीं बता दो ? "
" उसकी एक गर्ल फ्रेंड है , आज ही मुझे पता चला है "
" तुम्हारा दिमाग तो सही है , मालूम भी है क्या कह रही हो । वो बहुत छोटा है इन सबके लिए "
" उतना छोटा भी नहीं है । दसवीं का परीक्षा दिया है उसने "
" अच्छा , क्या वो स्पेशल फ्रेंड है ?"
" हाँ , इसलिए तो चिंतित हूँ "
"हम्म , चिंता का विषय तो है । इस बात में दीपू को आगे बढ़ने के लिए प्रश्रय नहीं दिया जा सकता है । "
" तो क्या आप उसके साथ .... " उस स्वर के आतंक से वह चौंक उठी ।
" कल सुबह बात करता हूँ उससे ।" सुनते ही सुबह होने और आने वाले निर्णय के क्षण की अनिश्चितता से उसके अंदर चटाख - चटाख सा कुछ टूट रहा था ।



मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 13, 2016 at 5:02pm
बहुत ही भावपूर्ण उम्दा कथानक पर बढ़िया प्रस्तुति के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया कान्ता राय जी। //दसवीं की परीक्षा दी है// अंतिम दो संवाद और अंतिम अंदर की बात जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही विचारणीय। इनके स्थान पर कथ्य उभारने हेतु मुझे कुछ बेहतर की संभावना लगती है
Comment by Sushil Sarna on June 13, 2016 at 2:43pm

आ. कांता रॉय जी माँ का हृदय अपने बच्चों के सदा  संवेदनशील और चिंतित होता है। ममता दुविधा और चिंता तीनों भावों का आपने इस लघु कथा में बड़ा सुंदर चित्रण किया हो। इस भावपूर्ण  लघु कथा की प्रस्तुति  के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by Rahila on June 13, 2016 at 1:12pm
सुबह तक नींद नहीं आई होगी मां को, बहुत सुन्दर रचना आदरणीया दी! सादर बधाई ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 13, 2016 at 11:33am

बच्चो को लेकर माँ बहुत संवेदन शील होती है गलती होने पर पति से शेयर भी करना फिर परिणाम से भी डरना की कही पति बच्चे को डांट या पिटाई न कर दे सच में माँ की ऐसी स्थिति को माँ ही समझ सकती है |बहुत बहुत बधाई आ० कांता जी 

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