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सपनों के गुब्बारे -- ( लघु कथा ) जानकी बिष्ट वाही - नॉएडा

विशाल प्राँगण में खूबसूरत फूलों की प्रदर्शनी , सुंदर रंग और सन्तुष्ट लोग। ये मंज़र आँखों को सुक़ून दे रहा था। तभी बगल से खिलखिलाते बच्चों का हुजूम गुजरा, उनके हाथों में पकड़े गैस के गुब्बारों पर नज़र ठहर गई।
एक पर कलात्मक शब्दों में लिखा था- " डॉक्टर -पीहू" दूसरे पर, "इंजीनयर - उत्कर्ष" तीसरे पर, "अंतरिक्ष विज्ञानी- निहारिका "
कौतूहल से मनीष ने इधर -उधर देखा,कुछ दूरी पर गुब्बारे वाले के पास बच्चों की भीड़ दिखी।

" अच्छा तो आप हैं जो मासूम बच्चों को सपने बेच रहे हैं ?" मनीष ने देखा,गुब्बारे वाले के पास ही में बैठा एक युवा तेज़ी से गुब्बारों पर बच्चों के नाम और उनकी पसन्द लिखता जा रहा था।

" हाँ बाबूजी ! देखिये बच्चे कितने खुश हैं ?"

" बहुत ख़ूब भाई ! इतना प्यार भरा विचार कहाँ से आया आपको ?"

" बाबूजी ! बचपन में मेरा बेटा कहता था, बापू ! मेरे गुब्बारे में लिख दो कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूँगा। तो उसका मन रखने को लिख देता था।"

"तो बेटे का सपना हुआ पूरा ?"

" हुआ ना बाबू जी ! अब वह डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा है।छुट्टियों में आया है।'

" वाह! तो कहाँ हैं आपके लाड़ले डॉक्टर साहब ?"

" आज मेरी मदद कर रहा है। गुब्बारों में बच्चों के सपने लिख रहा है ।वो देखो ..."

मनीष ने उस सुदर्शन युवक को देखा जो एक नन्हीं बच्ची को " मैं आसमान में उड़ना चाहती हूँ " लिखा हुआ गुब्बारा उसके नन्हें हाथों में थमा रहा था।


जानकी बिष्ट वाही
मौलिक एवम् अप्रकाशित
नोयडा

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Comment by Janki wahie on June 22, 2016 at 6:39pm
सादर आभार आ. गिरिराज सर जी।कथा पसन्द करने के लिए।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 21, 2016 at 11:26am

आदरणीया जानकी जी , बहुत अच्छी लगी आपकी लघु कथा , सपनों को बिना पंख के उड़ाने देने की कला ।

Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 6:44pm
सादर आभार आ. तेज़ वीर सिंह जी।
Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 6:43pm
सादर आभार आ. तेज़ वीर सिंह जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on June 20, 2016 at 2:16pm

हार्दिक बधाई आदरणीय जानकी वाही जी! बेहतरीन  लघुकथा!

Comment by Rahila on June 20, 2016 at 1:29pm
मैंने एक किताब पढ़ी थी," दा सीक्रेट "यकीन मानिये मेरी ज़िंदगी में उसके बाद बडा सुखद परिवर्तन आया।ये रचना कुछ ऐसी ही है।जैसा सपना देखोगे पूरे यकीन के साथ वो सार्थक होगा ही।बहुत सार्थक रचना प्रिय दीदी!खूब, खूब बधाई।सादर
Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 1:14pm
तहेदिल से शुक्रिया शहज़ाद जी।
Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 1:13pm
सादर आभार आ.रवि सर जी।आपका प्रेणना प्रद मार्गदर्शन हमेशा प्रकाश स्तम्भ की तरह राह दिखाता रहे।नमन।
Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 1:09pm
सादर आभार आ. dr. विजय शंकर जी। कथा पर आपकी टिप्पणी ने भावों के अलग आयाम खोल दिए।नमन।
Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 1:08pm
सादर आभार आ.श्याम नारायण वर्मा जी

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