फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन
212 1222 212 1222
जिन्दगी में कुछ लम्हे बेमिसाल तो आये
ख्वाब में खयालों में कुछ सवाल तो आये
बेखुदी में हैं अब भी, काश होश आ जाता
माँ को अपने बच्चे का कुछ खयाल तो आये
रूप में उधर चांदी , इश्क में इधर सोना
रोशनी बहुत होगी कुछ उछाल तो आये
फूल खूबसूरत है, है नहीं मगर खुशबू
हुस्न तो नुमायाँ है बोल-चाल तो आये
यूँ तो खून बहता है आदमी की धमनी में
किन्तु ये भी है लाजिम कुछ उबाल तो आये
मानता हूँ है बाकी देश मे हुनर काफी
किन्तु कोई जादू हो कुछ कमाल तो आये
आज भी भटकती है वन करील में राधा
भूलकर कभी ब्रज में नंदलाल तो आये
(मौलिक व् अप्रकाशित )
Comment
आज भी भटकती है वन करील में राधा
भूलकर कभी ब्रज में नंदलाल तो आये
ग़ज़ब सर ग़ज़ब .... हर शेर लाजवाब ... नमन सर नमन अापकी लेखनी से निकली इस अनुपम ग़ज़ल रसधारा के लिए। दिल से बधाई स्वीकार करें अादरणीय गोपाल जी भाई साहिब।
आदरणीय,,,,्नमन आपकी समृद्ध लेखनी को,,,,,,,
यूँ तो खून बहता है आदमी की धमनी में
किन्तु ये भी है लाजिम कुछ उबाल तो आये !!
वाह्ह्ह्ह क्या बात है अद्भुत गझल,,,्हुई है,,,,,,
नमन,,,,
वाह वाह वा ..क्या बात
.
डॉक साब की ग़ज़लें, डॉक साब के जलवे
काश हम पे इन जैसा कुछ जमाल तो आये.
.
बधाई
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