For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अक़लदाढ़(लघुकथा)राहिला

"यार रमेश!याद है परसों एक पंडित जी अपनी जमीन के किसी मसले को लेकर अपने कलेक्टर साहब से मिलने आये थे।"
"हाँ यार,क्या ओज था उस व्यक्ति के चेहरे पर।कोई भी प्रभावित हुए बगैर नही रह सकता था।मैंने तो खुद अपने बालक के बारे में पूछा था उनसे । ज्योतिष का खूब ज्ञाता था।"
"हाँ ,यही तो मैं बता रहा हूँ, अपने कलेक्टर साहब ! भी नहीं बच पाये।"
"मतलब अपनी तरह उन्होंने भी कुछ पूछा क्या? लेकिन आपको कैसे पता चला?"
"अपना रघु जिंदाबाद ,चाय पानी देने गया था अंदर, बस... ।"
"ऐसा क्या पूंछ लिया?जिसे बताने के लिये खासे उत्सुक दिख रहे हो।"
"बात ही ऐसी है, कहीं शुरू ,कहीं ख़त्म होगी।"
"यार बात को चबाओ मत।"
"तो सुनो कलेक्टर साहब को बुढ़ापे की फ़िकर हो चली जवानी में "वे तनिक और करीब आकर फुसफुसाते हुये बात को रहस्यमय बना के आगे बोले-"अरे वो जानना चाह रहे थे उनकी मृत्यु कैसे और किस हाल में होगी।"
"फिर क्या बोले पंडित जी?"
"पंडित जी बोले,महाराज आप तो राजा आदमी हो,आपके और आपके कुटुंब के क्या कहने।जैसे ठाठ से आपके पिता का बुढ़ापा गुजर रहा है वैसा ही आपका।और आप जैसे सुपुत्र को पाकर जैसे सुख में उनकी मृत्यु, वैसे आपकी।"
"ओहो....!!तभी कहूँ ऐसा क्या हुआ जिससे अचानक साहब की अक़लदाढ़ निकल आई ।इसलिये कल अपने पिताजी को वृद्धा आश्रम से वापस ले आये।"
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 930

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Parvez khan on July 8, 2016 at 7:35pm
बहुत खूब आद.राहिला जी
Comment by pratibha pande on July 6, 2016 at 7:24pm

 कथ्य का बहुत सुन्दर सशक्त सम्प्रेषण , हार्दिक बधाई स्वीकार करें प्रिय राहिला जी 

Comment by Mahendra Kumar on July 6, 2016 at 12:39pm
भय न हो तो व्यक्ति ईश्वर को भी न माने। बहुत ही अच्छी लघुकथा है आदरणीया राहिला जी। हार्दिक बधाई स्वीकार करें, सादर!
Comment by Rahila on July 6, 2016 at 12:28pm

आदरणीय उस्मानी जी!बहुत शुक्रिया आपकी समीक्षा मुझे सच्चाई से रूबरू कराती है।और जो त्रुटि हुयी है उसे मैं सुधरती हूँ।और इतनी खूबसूरत हौसला अफ़जाई के लिए खूब आभार ।सादर

Comment by Rahila on July 6, 2016 at 12:25pm

आदरणीय दुबे सर जी! आपने रचना को इस काबिल समझा , मेरा सौभाग्य ।बहुत, बहुत शुक्रिया ।सादर नमन1

Comment by Rahila on July 6, 2016 at 12:16pm

आदरणीय पंकज सर जी!आपका तो तारीफ का अंदाज ही निराला है ।आपकी लिखे अशआर ने तो मेरी रचना का मान ही बढ़ा दिया।बहुत, बहुत आभार।सादर नमन

Comment by Rahila on July 6, 2016 at 12:09pm

बहुत, बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील सर जी।आपकी स्नेहिल टिप्पणी मुझे सदैव सार्थक लेखन के लिये प्रेरित करती है।सादर नमन

Comment by Rahila on July 6, 2016 at 12:06pm

बहुत, बहुत शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सर जी !सादर

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 6, 2016 at 9:28am
बेहतरीन प्रस्तुति में बेहतरीन अशआर टिप्पणी में पेश कर कथ्य सम्प्रेषण में चार चाँद लगा दिए हैं मोहतरम जनाब पंकज कुमार मिश्र वात्सयायन जी। बहुत बहुत मुबारकबाद आपको।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 6, 2016 at 9:26am
सुंदर प्रवाहमय वार्तालाप के साथ पंचपंक्ति/डंकपंक्ति से बेहतरीन कटाक्ष करती रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीया राहिला जी। /वृद्धा आश्रम = वृद्धाश्रम / कर लीजिएगा। कुछ और टंकण त्रुटियां चैक करके ही पोस्ट किया करियेगा। पहली बार टंकण त्रुटियां रह गयीं हैं आपकी बेहतरीन पोस्ट पर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service