२१२२ २१२२ २१२
मजहबों के बीच जो दीवार है
डालती उस नींव को सरकार है
हाथ में जिसके किताबें चाहिए
आज उसके हाथ में हथियार है
जिन्दगी इक बार मिलती है यहाँ
मर रहा इंसान सौ सौ बार है
ख्वाहिशें बच्चों की पूरी क्या करें
जेब में सहमा हुआ इतवार है
पढ़ नहीं सकता यहाँ इक हर्फ़ जो
बेचता सड़कों पे वो अखबार है
राम रहिमन बिक रहे बाजार में
फल रहा बस धर्म का व्यापार है
नारियाँ महफूज़ बोलो हैं कहाँ
आज सड़कों पर लुटे संसार है
गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे
हर कोई दिखता यहाँ गमख्वार है
बादलों की देख के दादा गिरी
आज सावन भी हुआ बेजार है
दुश्मनी केवल यहाँ इंसान में
जानवर को जानवर से प्यार है
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
हाथ में जिसके किताबें चाहिए
आज उसके हाथ में हथियार है......सही कहा , ये ही हो रहा है कश्मीर घाटी में
बादलों की देख के दादा गिरी
आज सावन भी हुआ बेजार है......उत्तराखंड में दादागिरी करने के बाद अब बादल मध्य प्रदेश में दादागिरी कर रहे हैं,
अपने आस पास से उठाकर आप बहुत खूबसूरती से सच को रखती हैं ..... हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीया राजेश कुमारी जी
आद० समर भाई जी आप इस्सलाह दीजिये कौन सा मिसरा यहाँ रखूं यदि ये ठीक है क्या इसे ही रहने दूँ या जो नया सोचा है उसे रखूँ---
गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे
हो रहा ग़मगीन खुद गमख्वार है या --हर कोई ग़मगीन है गमख्वार है --ऐसे लिखूँ
आदरणीया, अगर गमख़्वार की ज़िद न हो तो ऐसा भी कह सकते हैं --
गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे
ज़ेह्नियत से क्या जहाँ बीमार है
वैसे आपने जो सुधार किया है वो भी सही है , गम और ख़्वार को अलग अलग शब्द मानें तो , नही तो ग़मख्वार -1221 हो जायेगा , इस विषय पर मै कोई अंतिम बात नही कह सकता , जैसा आप उचित समझें ।
आद० गिरिराज जी आपने बड़ी सूक्ष्मता से ग़ज़ल की समीक्षा जी है आपने उस महीन त्रुटी की तरफ इशारा किया है जिसको आद० समर भाई भी नहीं पकड़ पाए आपकी बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ सच में ये शब्द मिसरे के भाव के साथ मेल नहीं कर रहा |क्या इसको ऐसा करना ठीक रहेगा --
गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे
हो रहा ग़मगीन खुद गमख्वार है
आद० डॉ० आशुतोष जी आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ
आदरणीया राजेश जी , बहुत अच्छी गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें ।
आदरणीया -- 1- गमख़्वार -- का अर्थ , गम मे साथ देने वला , सहानुभूति रखने वाला होता है , क्या आपका शेर इस अर्थ मे सही है ?
गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे
हर कोई दिखता यहाँ गमख्वार है
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दुश्मनी केवल यहाँ इंसान में --- दुश्मनी देखी यहाँ इंसान मे -- शायद और सही लगे । ज़रूरी नही है बदलाव एक सलाह है ये ।
जानवर पशु पक्षियों में प्यार है
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