२२१ २१२१ १२२१ २१२
जब छीनने छुडाने के साधन नए मिले
हर मोड़ पर कई-कई सज्जन नए मिले
कुछ दूर तक गई भी न थी राह मुड़ गई
जिस राह पर फूलों भरे गुलशन नए मिले
काँटों से खेलता रहा कैसा जुनून था
उफ़! दोस्तों की शक्ल में दुश्मन नए मिले
जितने भी काटता गया जीवन के फंद वो
उतने ही जिंदगी उसे बंधन नए मिले
अपनों से दूर कर न दे उनका मिज़ाज भी
गलियों से अब जो गाँव की आँगन नए मिले
मौलिक/अप्रकाशित.
Comment
क्या कमाल की कहन के साथ क्या ही सशक्त ग़ज़ल हुई है ! वाह आदरणीय अशोक भाई जी.
हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ
आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, आपकी प्रतिक्रिया का मुझे इंतज़ार था. आप से दाद पाकर मेरा रचना कर्म सफल हुआ. आपके द्वारा सही कहा गया है "कर रहा" में एब आ गया था जिसे आपकी इस्लाह अनुसार मैंने बदल लिया है. पुनः आभार आपका. सादर.
आदरणीय सुशील सरना साहब सादर नमन, प्रस्तुत गजल पर आपकी उपस्थिति और उत्सावर्धन के लिए हृदयातल से आभार. सादर.
आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब सादर, प्रस्तुत गजल को पसंद करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार. आपके सुझावों का दिल से स्वागत है. किन्तु आपके द्वारा इंगित मिसरे पर आदरणीय समर साहब ने जैसे कहा है, वही मैं भी कहना चाहता हूँ की यह जिंदगी से कहा जा रहा है, इसलिए यहाँ 'में' का प्रयोग नहीं किया है. सादर.
काँटों से खेलता रहा कैसा जुनून था
उफ़! दोस्तों की शक्ल में दुश्मन नए मिले
वाह आदरणीय वाह ... बहुत ही खूबसूरत अशआर लिखे हैं आपने ... इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय अशोक जी भाई साहिब।
आदरणीय अशोक भाई , अच्छी गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें ।
बस - इस मिसरे में -- उतने ही जिंदगी उसे बंधन नए मिले -- में - की कमी लगती है , बात अधूरी लग रही है ।
उतने की हर क़दम उसे बन्धन नये मिले -- चाहें तो ऐसा किया जा सकता है
सादर आभार आदरणीया कल्पना भट्ट जी. सादर.
बढ़िया रचना हुई है आदरणीय | बधाई |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online