मेरे घर की आग में,,सेंक रहा है हाथ
दूत बने शैतान के , देता उनका साथ
देता उनका साथ ,लगा मति पर है ताला
ड्रेगन धुन पर नाच ,करे होकर बेताला
जग पर जाहिर आज ,सभी मंसूबे तेरे
छोड़ लगाना आग ,बाज आ भाई मेरे
छोड़ें ढुलमुल रीत को ,अब उँगली लें मोड़
रोग पुराना हो रहा ,खोजें दूजा तोड़
खोजें दूजा तोड़ ,नहीं अब मीठी गोली
बातें जफ्फी खूब ,खूब समझाइश हो ली
हमको सकता बाँट ,ख़्वाब उसका ये तोड़ें
सच में हों गंभीर ,महज बातों को छोड़ें
मौलिक व् अप्रकाशित
Comment
छंदों के बारे में तो बहुत अधिक नहीं जानता परन्तु भावों के स्तर पर प्रस्तुत रचना सीधे दिल में उतर गई। /ड्रेगन धुन पर नाच ,करे होकर बेताला/ 'ड्रेगन' शब्द अपने आप में ही सारे षडयंत्र की पोल खोल रहा है। बहुत खूब ! /छोड़ें ढुलमुल रीत को ,अब उँगली लें मोड़/ बिल्कुल सही कहा कि अब ढुलमुल नीति छोड़कर कड़े कदम उठाने का वक्त है और अब वाकई उंगली को मोड़ ही देना चाहिए ताकि उनकी देश को बांटने के मुंगेरी लाल के सपनों को असलियत दिखाई जा सके। बहुत ही सार्थक संदेश देती रचना प्रेषण हेतु असीम शुभामनाएं । सादर
आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, दोनों ही कुण्डलिया छंद सामयिक परिस्थिति पर सुंदर रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.
प्रयास का अनुमोदन व् उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ',समझाइश' शब्द पर आदरणीय रामबली जी की शंका का आपने समाधान किया आपका पुनः आभार ...सादर
रचना को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार प्रिय राहिला जी
प्रयास के छंदमयी अनुमोदन के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सतविंदर जी
आदरणीय रामबली गुप्ता जी , . बुद्धि' शब्द को इंगित करने के लिए आपका आभार , परिमार्जन कर दिया गया है , , समझाइश, शब्द पर सुधि जनों की प्रतीक्षा रहेगी.. रचना पर समय देने के लिए आपका पुनः आभार
वाह वाह ! आपका छन्दों पर अभ्यास तोषकारी है आदरणीया प्रतिभा जी.
मैं आदरणीय रामबली जी के कहे से सहमत हूँ. बुद्धि की कुल मात्रा २+१ = ३ होगी. अतः उक्त चरण दोषयुक्त है.
आदरणीय रामबली जी, समझाइश एक सही शब्द है. यह अवश्य है कि हिन्दी भाषा-भाषियों में यह शब्द बहुत प्रचलित शब्द नहीं है.
आदरणीय समर कबीर जी ,रचना पर आकर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार ..सादर
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