For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देश-देश चिल्लाते सारे,मतलब इसका समझो तो
संस्कृति,उत्सव परम्पराएँ, गुण माटी का समझो तो
मातृ भूमि का कण-कण सारा,संग उसी के जनता है
साथ सभी ये मिल जाते हैं,देश तभी तो बनता है।


हे भारत के युवा सुनो तुम, देशभक्ति मन में भरना
जीवन अपना इसकी खातिर,सारा अर्पण तुम करना
पढ़-लिखकर है बढ़ते रहना, भारत आगे करना है
खेल,ज्ञान में मान कमाकर, प्रतिमानों को गढ़ना है

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 1, 2016 at 10:08pm
आदरणीय सुरेश भाई जी बहुत बहुत आभार आपका।आपको रचना पसन्द आई,सुखद लगा।सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 1, 2016 at 10:07pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सादर हार्दिक आभार प्रयास पर उपस्थित होकर हौंसलाफ़ज़ाई करने के लिए।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 1, 2016 at 10:05pm
आदरणीय गोपाल सर सादर नमन।आप सही कह रहें हैं।यह भूल लिखने बाद कई बार पढ़कर भाव और कथ्य को पुष्ट करने में कर बैठा और ऐसा संशोधन किया।अब कृपया सब सुधिपाठक पहला बन्द कुकुभ और दूसरा बन्द लावणी छंद के अनुसार पढ़ें।
आभार आदरणीय गोपाल जी।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 1, 2016 at 10:01pm
आदरणीया कल्पना दीदी अनुमोदन एवम् प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार।नमन
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 1, 2016 at 5:32pm
बहुत ही सुन्दर रचना।युवाओं में जोश जागृत करने की कोशिश की है आपने।सहृदय बधाई।
Comment by Shyam Narain Verma on August 1, 2016 at 5:29pm
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 31, 2016 at 2:56pm

आ० सतविंदर जी ,  ककुभ  छंद का  चरणांत  २ २  होता है  आपने दूसरे बंद की  शुरुआती दो पंक्तियों में  चरणांत  १  १ २ भरना /करना  रखा है . सुधारा अपेक्षित है .सादर  

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 31, 2016 at 7:32am
अच्छी रचना हुई है आदरणीय सतविंदर भैया । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service