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इस लघु कथा के माध्यम से देश की अखंडता एकता पर करारा तीक्ष्ण कटाक्ष किया है सचमुच बहुत गंभीर और विचारणीय मुद्दा है हमे उस पेड़ को अपनी कलम के माध्यम से पुनर्जीवन देना है |आपको बहुत बहुत बधाई प्रिय राहिला जी
वाह बहुत ही सुन्दर तरीके से ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित टीस को उभारा गया है ... सचमुच हम जड़ को पहले ही खोद चुके हैं...बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आप बधाई की पात्र है आदरणीया राहिला जी!
राहिला जी आपने बडी कुशलता से ठीस को उभारा है.सभी अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए जडो को भी नही जोड पाए. सार्थक रचना
आदरणीया राहिला जी एक यथार्थ को आपने बड़ी ही रोचकता से चित्रित किया है। स्वार्थ की कुल्हाड़ी ने जड़ों को भी नहीं छोड़ा। अत्यंत संवेदनशील विषय को आपने प्रस्तुत किया है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
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