For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( क़लम तक न पहुंचे )

ग़ज़ल ( क़लम तक न पहुंचे )

------------------------------------

१२२ --१२२ --१२२ --१२२

वो पहुंचे मगर चश्मे नम तक न पहुंचे ।

हंसी में छुपे मेरे गम तक न पहुंचे ।

इनायत है उनकी मगर खौफ भी है

कहीं  सिलसिला यह सितम तक न पहुंचे ।

कई बार उनसे हुई बात लेकिन

मेरे जज़्बए दिल सनम तक न पहुंचे ।

यही रहबरों चाहती है रियाया

सियासत कभी भी धरम  तक न पहुंचे ।

तसव्वुर नहीं बंदिशें हैं मिलन पर

यकीं कैसे कर लें वो हम तक न पहुंचे ।

ख़िलाफ़े सितम कैसे बोले वो शायर

जो हिम्मत करे पर क़लम तक न पहुंचे ।

कभी कोई तकलीफ़ तस्दीक़ उनको

क़सम खाइये मरते दम  तक न पहुंचे ।

(मौलिक व अप्रकाशित )      

Views: 500

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 23, 2016 at 7:43pm

मोहतरम जनाब  गिरिराज साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 23, 2016 at 11:22am

आदरणेय तस्दीक भाई , बेहतरीन गज़ल से नवाज़ा है आपने ,मंच को ! हरेक शे र के लिये दाद हाज़िर है , कुबूल कीजिये ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2016 at 9:13pm

मोहतरम जनाब  समर कबीर  साहिब आदाब  ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --टाइप करते वक़्त यह गलती रह गयी ,  मेरी  कॉपी में तो ग़ज़ल  उर्दू में लिखी हुई है जो रे -ऐन -अलिफ़ -ये -अलिफ़ है ----शुक्रिया 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2016 at 9:06pm

जनाब  श्याम नारायण   साहिब ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2016 at 9:06pm

जनाब  सतविंदर कुमार  साहिब ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2016 at 9:05pm

जनाब आशुतोष साहिब ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --

Comment by Samar kabeer on August 22, 2016 at 3:23pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
चौथे शैर के ऊला मिसरे में 'रियाया'को "रिआया"कर लें ।
Comment by Shyam Narain Verma on August 22, 2016 at 3:13pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई! सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 22, 2016 at 1:58pm
बहुत खूब आदरणीय तस्दीक अहमद साहब।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 21, 2016 at 10:59pm
भाई तश्दीक जे इस रचना पर हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
19 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service