तुम मुझे मिल जाओगे ...
ये सृष्टि
इतनी बड़ी भी नहीं
कि तुम मेरी दृष्टि की
दृश्यता से
ओझल हो जाओ
असंख्य मकरंदों की महक भी
तुम्हारी महक को
नहीं मिटा सकती
तुम मेरी स्मृति की
गहन कंदरा में
किसी कस्तूरी गन्ध से समाये हो
सच कहती हूँ
तुम मेरे रूहानी अहसासों की
हदों को तोड़ न पाओगे
क्यूँ असंभव को
संभव बनाने का
प्रयास करते हो
अपने अस्तित्व का
मेरे अस्तित्व से
इंकार करते है
हाँ ! मानती हूँ
तुम भौतिक रूप से
मेरी बाहों की जद में नहीं
तुम मेरे स्पर्श की
परिभाषाओं की हद में भी नहीं
फिर भी
मेरी हर साँस
तुम्हारे वज़ूद को
महसूस करती है
तुम हर नफ़स
मुझमें समाये हो
मेरी रगों में
तुम लहू बन कर दौड़ते हो
भला कैसे
मेरे अस्तित्व से
खुद को जुदा कर पाओगे
तुम्हारी हर सांस
मेरी साँसों की धड़कन है
दुनिया का कोई शोर
तुम्हारी साँसों की आवाज़
मुझसे छीन नहीं सकता
तुम
मेरी बेइंतहा मुहब्बत की
वज़ह हो
नहीं जानती
ये दिल
किसको क़ज़ा देता है
ये
जीता है
या
जीने की सजा देता है
सच ! जानम
ये सृष्टि
मेरी मुहब्बत की दुनियां से बड़ी नहीं है
मेरी रूह को
तुम खुद से
न अलग कर पाओगे
किसी न किसे मोड़ पे
मैं तुम्हें
तुम मुझे मिल जाओगे
गुज़रे हुए लम्हों पे
इक अश्क
तुम भी साथ मेरे बहाओगे
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुरेश जी रचना के मर्म को अपनी सहमति देती प्रशंसा के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया।
आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति के भावों को अपनी सहमति से अलंकृत करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online