For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ताटंक छंद आधारित गीत

माता तेरा बेटा वापस, ओढ़ तिरंगा आया था।
मातृ भूमि से मैंने अपना, वादा खूब निभाया था।

बरसो पहले घर में मेरी, गूंजी जब किलकारी थी।
माता और पिता ने अपनी हर तकलीफ बिसारी थी
पढ़ लिख कर मुझको भी घर का,बनना एक सहारा था
इकलौता बेटा था सबकी मैं आँखों का तारा था
केसरिया बाना पहना कर ,भेज दिया था सीमा पे
देश प्रेम का जज़्बा देकर ,इक फौलाद बनाया था

सोते सोते प्राण गँवाना, मुझे नहीं भाया यारो
कायर दुश्मन की हरकत पर ,क्रोध बहुत आया यारो
शुद्ध रक्त का जाया दुश्मन, वहां नहीं पैदा होता
खुली चुनौती देता हूँ मैं, उसको धूल चटा देता
थूक रहा हूँ बुजदिल गीदड़, तेरे हर मंसूबे पे
घने अँधेरे में छिपकर तू,मुझे डराने आया था

कितनी माताओं की गोदी,और उजाड़ेगी दिल्ली
कब तक बैठक में बातों में, वक्त बिगाड़ेगी दिल्ली
समय आ गया आर पार का, दे दो छूट जवानों को
घर में घुस कर खींच निकालें जेहादी शैतानो को
तनिक नहीं अफ़सोस वतन पर मुझको जान गवाने का
प्रश्न शहीदों का है तुमसे क्यूँ ब्रह्मोस बनाया था

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 874

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on September 21, 2016 at 3:51pm

सुंदर भाव लिए, उत्तम रचना के लिए बधाई ....

सादर

Comment by Ravi Shukla on September 21, 2016 at 3:35pm
आदरणीय शिज्जु भाई गीत पर आपकी उपस्थित से उत्साहित है हम अभार स्वीकार करें ।
Comment by Ravi Shukla on September 21, 2016 at 3:34pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सुशील जी गीत को पसंद करने के लिए । सादर
Comment by Sushil Sarna on September 21, 2016 at 2:28pm

वाह आदरणीय रवि शुक्ला जी बहुत सुंदर  ... इस भावनात्मक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2016 at 2:01pm

वाह वाह आदरणीय रवि सर मौजूदा हालात पर बेहतरीन गीत रचा है आपने बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए

Comment by Ravi Shukla on September 21, 2016 at 1:24pm
ओ बी ओ प्रबंधन का बहुत बहुत आभार इस गीत को फीचर की श्रेणी में रखने के लिए ।
Comment by Ravi Shukla on September 21, 2016 at 1:23pm
आदरणीय समर साहब गीत को आपका आशीर्वाद मिला बहुत ख़ुशी हुई कभी कभी विचार अलग अलग विधा में अभिव्यक्त होने को स्वतः ही प्रेरित हो जाते है। आदरणीय राम बली जी के सुझाव नॉट कर लिए है और भी सुझाव आये तो उन पर भी विचार करके मूल लेख में वांछित सुधार कर लिया जायेगा ।
Comment by Ravi Shukla on September 21, 2016 at 1:20pm
आदरणीय राम बली जी आपके सुझाव पर अवश्य हिबगौर करके इसे और बेहतर बनाने का पूरा प्रयास होगा । तात्नक छंद की मात्रा वुधान और तीन गुरु के पदांत को आधार बना कर एक गीत बनाने का प्रयास किया ही ये छंद नही है और छंद पर इतना अधिकार भी नहीं है वांछित सुधार अवश्य किया जाएगा । आपकी विस्तृत समीक्षा का स्वागत है । बहुत बहुत धन्यवाद । सादर
Comment by Samar kabeer on September 21, 2016 at 10:17am
जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,आप तो इस विधा में भी कमाल दिखा रहे हैं,बहुत बढ़िया छन्द रचे आपने,दिल से बधाई स्वीकार करें ।
जनाब रामबली गुप्ता जी के सुझाव पर ध्यान दीजियेगा।
Comment by रामबली गुप्ता on September 20, 2016 at 10:57pm
सुंदर ताटंक आधारित गीत हुआ है गुरुदेव। बधाई स्वीकार करें। मेरे हिसाब से कुछ संशोधन की आवश्यकता है जैसे-
मुखड़े में आपने ताटंक के दो चरणों को रखा है इस हिसाब से आप के अंतरे में पांचवी लाइन का तुकांत मुखड़े से होना चाहिए जबकि आपने एक और छठवीं लाइन बढ़ाया है और उसका तुकांत मुखड़े से रखा है तो फिर हर अंतरे की पांचवी लाइन का तुकांत किससे है? ताटंक में दो दो पदों की तुकांतता का नियम होता है इस हिसाब से पांचवी लाइन का तुकांत छठवीं लाइन से होना चाहिए। तातपर्य यह है की आप हर अंतरे में चार लाइनों का एक पूरा ताटंक छंद रखिये और पाँचवीं लाइन का तुकांत मुखड़े से रखिये और इसी प्रकार अन्य अंतरों में भी रखिये।
'होता' और 'देता' में तुकांतता दोषपूर्ण है।

बाकी सब शुभ शुभ। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ अड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"अश्रु का नेपथ्य में सत्कार भी करते रहेवाह वाह वाह ... इस मिसरे से बाहर निकल पाऊं तो ग़ज़ल पर टिप्पणी…"
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं

.सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं  जहाँ मक़ाम है मेरा वहाँ नहीं हूँ मैं. . ये और बात कि कल जैसी…See More
18 hours ago
Ravi Shukla posted a blog post

तरही ग़ज़ल

2122 2122 2122 212 मित्रवत प्रत्यक्ष सदव्यवहार भी करते रहेपीठ पीछे लोग मेरे वार भी करते रहेवो ग़लत…See More
18 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा अर्थ प्रेम का है इस जग में आँसू और जुदाई आह बुरा हो कृष्ण…See More
18 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service