वादा .....
मेरे ग़मगुसार ने
इक वादा किया था
कि वो हर लम्हा
मेरा ज़िस्म होगा
मेरा हर ग़म
उस पे आशकार होगा
फ़ना की तारीक वादियों में भी
वो मेरे साथ होगा
क्या सच में उसने
इस जहां से
उस जहां तक
साथ निभाने का
वादा किया था
लम्हा दर लम्हा
दूरी का अज़ाब बढ़ता गया
अकेलेपन की शाखाओं पे
यादों का शबाब
बढ़ता गया
साये गुफ़्तगू करने लगे
मेरी अफ़सुर्दा निगाहें
जाने ख़ला में
क्या तलाशती थीं
मैं अकेला
चुप
बेज़ान
खामोश उफ़क में
तलाशता रहा उसको
फ़लक में जो
चल दिया
मुझसे पहले
उस जहाँ में
जहां तक
साथ देने का
उसने वादा किया था
*ग़मगुसार =मित्र,आशकार=प्रकट ,अज़ाब=कष्ट ,
अफ़सुर्दा=उदास ,उफ़क़ =क्षतिज
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी प्रस्तुति आपकी आत्मीय सराहना से उपकृत हुई।
आदरणीया कल्पना भट्ट जी सृजन को आपकी आत्मीय प्रशंसा ने जो मान दिया है उसके लिए आपका हार्दिक आभार।
आदरणीय तस्दीक साहिब प्रस्तुति में निहित भावों को आपकी आत्मीय प्रशंसा ने जो मान दिया है उसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया।
आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति को हौसला देते आपके अल्फ़ाज़ों ने बन्दे को जो इज्ज़त बख़्शी है उसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया।
बहुत अच्छी रचना हुई है आपकी आदरणीय सुशिल जी | हार्दिक बधाई |
मोहतरम जनाब सुशील सरना साहिब , दिल की गहराईयो में उतरती और गज़ब का एहसास कराती सुन्दर कविता के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आदरणीय शिज्जु शकूर जी प्रस्तुति आपकी आत्मीय सराहना से उपकृत हुई। फ़ना की तारीक वादियों में'' का मेरा अभिप्राय मौत की अंधेरी वादियों में '' से या मिट जाने के बाद की अंधेरी वादियों से था। कोई त्रुटि हो अवश्य सुझाव दें। आपका हार्दिक आभार।
आ. सुशील सरना सर अच्छी रचना हुई है बहुत बहुत बधाई,
एक बात
//फ़ना की तारीक वादियों में भी
वो मेरे साथ होगा// आपके इस बयान का मतलब नहीं समझा
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