दोहा गीत
आज़ादी की राह में ,शत शत वो बलिदान|
याद कहो कितना रहा ,बोलो हिन्दुस्तान||
सावरकर की यातना,देखी थी प्रत्यक्ष|
अंडमान की जेल में,काँपे पीपल वृक्ष||
संग्रामी आक्रोश में ,कितने बुझे चिराग|
कितनी टूटी चूड़ियाँ,कितने मिटे सुहाग||
कितनी दी कुर्बानियाँ,तब पाया सम्मान|
याद कहो कितना रहा ,बोलो हिन्दुस्तान||
रहे सदा जाँ बाज वो,हर सुख से महरूम|
झूल गये जो जान पर,उन फंदों को चूम||
नेहरू गाँधी शास्त्री,औ गंगा धर बाल|
कूद पड़े सब जंग में ,भारत माँ के लाल||
सींच लहू से क्यारियाँ,सफल किया अभियान|
याद कहो कितना रहा ,बोलो हिन्दुस्तान||
एक विटप की छाँव में,बैठे धर्म अनेक|
अलग अलग मोती मगर,बँधे सूत्र में एक||
चाहे पुष्प अनेक हम ,एक मगर उद्द्यान|
करें नमन इस देश को, जय जय हिन्दुस्तान||
सरहद के जाँ बाज तू ,इकला खुद मत मान|
तेरे पीछे है खड़ा,सारा हिन्दुस्तान||
जय जय हिन्दुस्तान
जय जय हिन्दुस्तान
-------मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आद० रवि शुक्ल भैय्या, आपको ये दोहा गीत पसंद आया आपका बहुत- बहुत आभार|
आ० समर भाई जी कोई बात नहीं मैं समझ गई थी बस प्रणाम करना था कोई ख़ास बात नहीं थी |
आदरणीया राजेश दीदी सुन्दर दोहा गीत हुआ है बधाई स्वीकार करें ।
आद० समर भाई जी ,इस गीत को आपका आशीष मिल गया बस लिखना सफल हुआ दिल की असीम गहराई से आपका आभार नमन .
आद० अर्पणा जी आपको ये दोहा गीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से बहुत बहुत आभार |
आद० सुरेश कुमार जी ,दोहा गीत पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया की बहुत आभारी हूँ |
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