युद्ध थम चुका था जश्न भी मना चुके थे पनडुब्बी ,हवाई जहाज ,टैंक बहुत खुश दिखाई दे रहे थे तीनों का सीना गर्व से फूला था| युद्ध की घटनाओं का तीनों ही बढ़ चढ़ कर जिक्र कर रहे थे न जाने कहाँ से वार्तालाप में अचानक मोड़ आया कि एक के बाद एक तीनों ही अपनी अपनी सफलताओं का बखान करने लगे |
टैंक बोला- “सबसे आगे मैं था कुचल डाला सबको मेरा तो डीलडौल और रौब देख कर ही दुश्मन की घिघ्घी बंध गई थी”|
“अरे तुझे क्या पता तेरे ऊपर मैं दुश्मनों को कवर कर रहा था वरना मेरे सामने तेरी क्या औकात लड़ाकू हवाई जहाज जोश और क्रोध में घर्र घर्र करता हुआ बोला”
“अच्छा अगर समुद्र के रास्ते आने वाले दुश्मनों को मैं ना रोकती तो वो घर में घुस कर ही तुम दोनों को उड़ा देते मुझ से पंगा मत लो तुम दोनों कहे देती हूँ ” पनडुब्बी गुस्से में बोली”|
देखते ही देखते नौबत हाथा पाई तक आ गई तभी श्वेत वस्त्रों में एक देवी उनके सामने आ खड़ी हुई जिसकी आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे उसे देखकर तीनों ने एक साथ पूछा “आप कौन हैं देवी और रो क्यूँ रही हैं”?
देवी बोली “मैं देश भक्ति हूँ तुम तीनों यहाँ आपस में लड़ मर रहे हो और मैं अपने बच्चों, उन शहीदों की चिताओं को जलता देख कर आ रही हूँ जिनकी शहादत को भूल कर यहाँ तुम अपनी अपनी वीरता का बखान कर रहे हो
मेरे मन में तो एक बार भी नहीं आया कि वे जाँबाज कहाँ के थे जल या वायु या धरा के ” |
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आद० सुरेश कुमार जी ,लघु कथा के मर्म का गहराई से अवलोकन कर दी हुई प्रतिक्रिया के लिए दिल से शुक्रगुजार हूँ जो सन्देश इसमें निहित है वो पाठकों तक पंहुच रहा है इसके लिए हर्षित हूँ |
आद० डॉ० विजय शंकर जी ,आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ सादर |
आद० अर्पणा शर्मा जी ,आपको लघु कथा पसंद आई आपका बहुत बहुत आभार |
आद० समर भाई जी ,आपकी सराहना पूर्ण उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया की दिल से बेहद शुक्रगुजार हूँ मेरा लिखना सार्थक हो गया |बहुत बहुत आभार आपका |
आद० शेख़ उस्मानी जी, लघु कथा पर सर्वप्रथम आकर उत्साह वर्धन करती हुई एक सकारात्मक प्रतिक्रिया से अभिभूत किया दिल से बेहद शुक्रिया आपका |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online