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एक एहसास
मीठा सा
इंतज़ार दे गया ।

प्यार का
विश्वाश का
तड़प का
अधिकार का ।


एक एहसास
प्यारा सा
प्यार जता गया

आँखों से आँखों का मिलना
आत्मा की पुकार
एक ख़्वाब जगा गया ।

प्यारा सा चेहरा
अपनी और खींचता है
ग्रीष्म में सावन
का एहसास
तुम्हारा प्यार दे गया ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 12, 2016 at 3:06pm
धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण जी ।
Comment by Shyam Narain Verma on October 12, 2016 at 1:26pm
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2016 at 3:30pm
धन्यवाद आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी ।
Comment by नाथ सोनांचली on October 11, 2016 at 3:22pm
बहुत खुबसूरत रचना, मेरी बधाई स्वीकार करें।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2016 at 11:26am
धन्यवाद आदरणीय सुरेश जी ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 11, 2016 at 11:04am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी सुन्दर एहसास को शब्दबद्ध करने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 10, 2016 at 10:36pm
धन्यवाद आदरणीय डॉ विजय शंकर जी । सादर ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 10, 2016 at 10:31pm
बहुत सुन्दर , बधाई, आदरणीय सुश्री कल्पना भट्ट जी , सादर।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 10, 2016 at 10:30pm
आदाब जनाब समर साहब । आपको रचना पसंद आती है जानकार ख़ुशी होती है । हौंसला बढ़ता है । तह दिल से शुक्रिया सर ।
Comment by Samar kabeer on October 10, 2016 at 8:46pm
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,बहुत सुंदर अहसासात को अच्छे शब्दों में ढाला है, मुझे उमूमन आपकी सभी कविताएं अच्छी लगती हैं कि वो शाइरी के क़रीब होती हैं,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

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