For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोज़ देखतीं हूँ
शाख पर बैठी हुई
चिड़ियाओं को

जो बैठती हैं
एक शाख़ पर
कलरव करती हैं ।

भूख लगने पर
पंखों को फ़ैलाए
उड़ जाती हैं ।
अपने लिए
दाना ढूंढने ।

समय आने पर
बीनती हैं तिनके
अपने लिए
एक घरौंदा बनाती हैं ।


करती हैं परवरिश
विहग-सुवन की ।

करतीं हैं इन्तज़ार
समय का
पंख आ जाने पर
जो कल एक
बच्चा था
उड़ जाता है
ऊँचे गगन में
उड़ जाता है
अपनी फुर्रर्रर
की आदत से ।

रह जाती है
पीछे वे शाखें
जो करतीं हैं
फिर से उन चिड़ियाओं का इंतज़ार ।

मौलिक ऐवं अप्रकाशित

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 15, 2016 at 8:11pm
आदरणीया कल्पना भट्ट जी सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 14, 2016 at 5:45am
धन्यवाद आदरणीय राजेश दी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 13, 2016 at 10:34pm

बहुत  भावपूर्ण रचना बधाई आपको प्रिय कल्पना जी 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 13, 2016 at 3:52pm
धन्यवाद आदरणीय विजय जी ।
Comment by vijay nikore on October 13, 2016 at 3:28pm

सुंदर रचना। पढ़ कर आनंद आ गया । बधाई।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 12, 2016 at 10:03pm
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब तस्दीक़ साहब ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 12, 2016 at 9:07pm

मोहतरमा  कल्पना   साहिबा  ,  दिल की गहराईयो में उतरती और  सीख देती सुन्दर कविता  के  लिए दिल से मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 12, 2016 at 3:07pm
धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण जी ।
Comment by Shyam Narain Verma on October 12, 2016 at 1:17pm
वाह ! बहुत खूब | सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 12, 2016 at 10:40am
धन्यवाद आदरणीय रामबली सर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
17 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service