For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अल्लाह जानता है (लघुकथा)/शेख़ शहज़ाद उस्मानी

अस्पताल में आई. सी. यू. में भर्ती बेगम साहिबा को अपने जीवन के अंतिम पलों का अहसास होने लगा था । लेकिन मज़ाकिया स्वभाव के ज़िंदा दिल मिर्ज़ा साहब उनका हौसला बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे।
"अब तो जा रहीं हूँ जनाब, अपना ख़्याल रखियेगा, ऐसे ही ख़ुशमिज़ाज बने रहियेगा!" बेगम ने मिर्ज़ा जी की हथेली थामते हुए कहा।
"पगली, ये भी कोई मज़ाक का वक़्त है, लोग 'करवा चौथ' मना रहे हैं आज और तू जाने की बात सोच रही है, ऐं!" मिर्ज़ा जी ने उनके माथे पर बोसा देते हुए कहा।
"मैं कहती थी न कि मैं तुम्हारे ख़ानदान का 'सदा सुहाग' मरने वालों का रेकॉर्ड तोड़ूंगी! सदा सुहागन ही मरूंगी!" आँखों को नम करते हुए बेगम ने कहा।
तभी आई. सी. यू. में अफ़रा-तफ़री मच गई। शॉर्ट-सर्किट से भड़की आग बुझाने की कोशिशें की जाने लगीं। कुछ शवों के साथ ही बेगम और मिर्ज़ा साहब के शव भी उनके परिजन के समक्ष रखे हुए थे। परिजन में से किसी ने कहा- "उसके भेद निराले, वो ही जाने, अल्लाह जाने!"
किसी रिश्तेदार ने कहा-"जहां चाह, वहां राह!"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 651

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 21, 2016 at 5:13pm
रचना पर समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए तहे दिल से बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विजय निकोरे जी।
Comment by vijay nikore on October 24, 2016 at 3:20pm

इस सुन्दर मार्मिक लघुकथा के लिए बधाई।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2016 at 11:57pm
मेरी इस ब्लोग पोस्ट/लघुकथा पर समय देकर अपने विचार साझा करते हुए रचना के अनुमोदन व स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब डॉ. विजय शंकर जी, मोहतरम जनाब शिज्जु 'शकूर' साहब, जनाब हरिकिशन ओझा जी व आदरणीय सुशील सरना जी।
Comment by Sushil Sarna on October 19, 2016 at 6:54pm
जनाब उस्मानी साहिब बहुत ही सुंदर और मार्मिक लघु कथा का प्रस्तुतिकरण हुआ है। हार्दिक बधाई सर।
Comment by harikishan ojha on October 19, 2016 at 12:58pm

बहुत सुन्दर कथा, बधाई स्वीकार करे आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 19, 2016 at 10:44am

जनाब उस्मानी साहब हृदयस्पर्शी लघुकथा का सृजन किया है आपने बधाई आपको

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 19, 2016 at 9:27am
कहानी कहाँ से कहाँ मुड़ जाती है अचानक , बस यही एक बात है जो किसी को पता नहीं होती है कि अगला क्षण क्या ला रहा है। और यही न जानना ही जिंदगी है।
बहुत ही खूबसूरत ( मार्मिक भी ) कहानी। बधाई , आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service