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ओढ़ ली बातियों ने चुनर दीप की .....गीत//डॉ. प्राची

ओढ़ ली बातियों ने चुनर दीप की, लौ लगी झूमने ले मिलन की लगन।
आस की रात है, प्रीत की बात है, सुलगी-सुलगी दिलों में मिलन की अगन....

प्यार के स्वप्न की सप्त रंगी किरण
आ जमीं पर उतर के रंगोली सजा,
हाल दिल का है क्या, फूल उनसे कहें
महकी खुशबू सुना दे मेरी हर रज़ा,
ओ दुआओ पिया की उतारो नज़र, अपने आशीष से आज कर दो सगन....
ओढ़ ली....

मुस्कुराहट के झिलमिल चिरागो ज़रा
हर तरफ चाँदनी सा उजाला भरो,
आज वाचाल होने दो खामोशियाँ
बात नयनों ही नयनों में उनसे करो,
माँग लो मन्नतें उम्र भर के लिए, खिल उठेंगी सभी आज शुभ है लगन....
ओढ़ ली....

पाँव की झाँझरें, हाथ की चूड़ियाँ
इनकी थिरकन के सुर गूँज कर क्या कहें,
तुम से ही दीप तुमसे ही दीपावली
है दुआ साथ हम तुम हमेशा रहें,
नींद आँखों से हमको निहारे मगर, हाथ में हाथ हों फिर लिये रत-जगन....
ओढ़ ली....

मौलिक और अप्रकाशित
डॉ.प्राची

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Comment

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Comment by रामबली गुप्ता on November 1, 2016 at 6:05am
क्या बात है। वाह आदरणीया प्राची बहन जी शिल्प और भाव दोनों ही लाज़वाब। दिल से बधाई लीजिये इस सुंदर गीत के लिए।
Comment by Satyanarayan Singh on October 31, 2016 at 2:02pm
आदरणीया डॉ प्राची जी. दीपोत्सव की शुभकामनाओं सहित इस मोहक गीत हेतु हार्दिक बधाई
Comment by Samar kabeer on October 30, 2016 at 9:06pm
मोहतरमा डॉ.प्राची सिंह साहिबा आदाब,सबसे पहले दीपावली की बधाई और शुभकामनायें क़ुबूल कीजिये ।
दीपावली की तरह जगमगाता हुआ गीत लिखा है आपने ऐसे मौक़े पर जो जज़्बात मन में उमड़ते हैं उन्हें अच्छे शब्द दिये हैं आपने,इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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