1212 1122 1212 112
अवाम में सभी जन हैं इताब पहने हुए
सहिष्णुता सभी की इजतिराब पहने हुए |
गरीब था अभी तक वह बुरा भला क्या कहें
घमंडी हो गया ताकत के ख्याब पहने हुए |
मसलना नव कली को जिनकी थी नियत, देखो (२२-११२)
वे नेता निकले हैं माला गुलाब पहने हुए |
अवैध नीति को वैधिक बनाना है धंधा (२२-११२)
वे करते केसरिया कीमखाब पहने हुए |
शब-ए -विशाल की दुल्हन को इंतज़ार रहा
शबे फिराक हुई इजतिराब पहने हुए |
शबे दराज़ तो बीती बिना पलक मिला कर
सनम नहीं कहीं भी तो सराब पहने हुए |
शब्दार्थ :
इताब –गुस्सा ; इजतिराब –बेचैनी
कीमखाब –वस्त्र ,कपड़ा ; सराब – मृग मरीचिका ,भ्रम
शबे विशाल – मिलन की रात: शबे फिराक – विरह की रात
शबे दराज़ –लम्बी रात
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आदरणीय समर कबीर साहब आदाब . "विसाल" वर्तनी की ओर ध्यान नहीं गया था ,अब ठीक कर लूंगा |
फिर भी एक बात पूछना है --शब्-ए -विसाल का भार २-१-१२१ और शबे विसाल का १२-१२१ (छुट लेकर ) इजाफत नियम के मुताबिक ब का भार १ ही रहता है | तो क्या शबे का भार जरुरत के मुताबिक़ ११ मान सकते है ?
शब्द कोष के अनुसार किमखाब,कीमखाब किमख्वाब का अर्थ एक ही है | मैंनेपहले भी कीमखाब का प्रयोग किया था | सादर
आदरणीय समीर कबीर साहब , आदाब , आपके सुझाव के आनुसार मैंने //शबे विशाल // को //शब्- ए - विशाल // किया परन्तु भार १२१२१ से २११ २१ हो गया | क्या आप २११ को १२१ मान रहे है ? अगर ऐसा है तो यही बात मैं आप से पहले भी पूछा था क्या यह सभी बहरों में कर सकते हैं या किसी ख़ास बहर , वे कौन से हैं ?
वे करते के/सरिया की/मखाब पह/ने हुए
१ २ 12/112२/1212/११२
कीमखाब =बहर में बैठ रहा है, किमख्वाब का मात्रा भार मैं बैठा नहीं पा रहा हूँ | कृपया मार्ग दर्शन करें
सादर
बहुत बहुत आभार आ ब्रिजेश कुमार जी
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी साहिब हौसला अफजाई केलिए हार्दिक आभार \
आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब ! आपके मार्ग दर्शन में बहुत कुछ सिखने को मिलता है| विस्तृत विश्लेषण के लिए हार्दिक आभार |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online