एक करतब दूसरे करतब से भारी देखकर
मुल्क भी हैरान है ऐसा मदारी देखकर,
जिनके चेहरे साफ दिखते हैं मगर दामन नहीं
शक उन्हें भी है तेरी ईमानदारी देखकर,
उम्रभर जो भी कमाया मिल गया सब खाक में
चढ गया फांसी के फंदे पर उधारी देखकर,
मुल्क में हालात कैसे हैं पता चल जाएगा
देखकर कश्मीर या कन्याकुमारी देखकर,
सर्द मौसम है यहां तो धूप भी बिकने लगी
हो रही हैरत तेरी दूकानदारी देखकर,
इस तरह के नोट चूरन में निकलते थे कभी
सब यही कहते दिखे कल दो हजारी देखकर,
देखने सूरत गया था आइने के सामने
आईना रोने लगा हालत हमारी देखकर।। # — (अतुल)
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
वाह्ह्ह्हह वाह्ह्ह मजा आ गया इतनी उम्दा ग़ज़ल पढ़कर देर से पढने का खेद है दिल से बधाई लीजिये आद० अतुल जी .
आदरणीय अतुल भाई , वर्तमान पर बहुत अच्छी गज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें । आदरणीय समर भाई जी की सलाह पर गौर कीजियेगा ।
जनाब अतुल साहिब , अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
शेर 5 के सानी मिसरे में ऐबे -तनाफूर है ( हैरत -तेरी )
सही शब्द" दुकान / दुक्कान " है इस हिसाब से क़ाफ़िया " दूकानदारी "
नहीं बल्कि " दुक्का नदारी " होगा देख लीजियेगा
Aadarneeya Samar kabeer sir. Mai Nirdesh pure karta hu.ashish banaye rakhen. sadar-Atul
Aadarneeya डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव sir. apka Ashish mila, accha laga. sadar-Atul
Aadarneeya Mirza Hafiz Baig sahab..apka aabhar. dua aashish banaye rakhein. sadar-Atul
Aadarneeya Dr Ashutosh Mishra sir..apka aabhar. shukriya. sadar-Atul
Aadarneeya Dharmendra ji..apka tahedil se aabhar.shukriya sadar-Atul
Aadarneeya Sheikh Shahzad Usmani sir, apka bahut bahut aabhar.
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