For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुल्क भी हैरान है ऐसा मदारी देखकर...

एक करतब दूसरे करतब से भारी देखकर

मुल्क भी हैरान है ऐसा मदारी देखकर,

 

जिनके चेहरे साफ दिखते हैं मगर दामन नहीं

शक उन्हें भी है तेरी ईमानदारी देखकर,

 

उम्रभर जो भी कमाया मिल गया सब खाक में

चढ गया फांसी के फंदे पर उधारी देखकर,

 

मुल्क में हालात कैसे हैं पता चल जाएगा

देखकर कश्मीर या कन्याकुमारी देखकर,

 

सर्द मौसम है यहां तो धूप भी बिकने लगी

हो रही हैरत तेरी दूकानदारी देखकर,

 

इस तरह के नोट चूरन में निकलते थे कभी

सब यही कहते दिखे कल दो हजारी देखकर,

 

देखने सूरत गया था आइने के सामने

आईना रोने लगा हालत हमारी देखकर।। # — (अतुल)

                           मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 1146

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2016 at 7:33pm

वाह्ह्ह्हह वाह्ह्ह मजा आ गया इतनी उम्दा ग़ज़ल पढ़कर देर से पढने का खेद है दिल से बधाई लीजिये आद० अतुल जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 22, 2016 at 10:55am

आदरणीय अतुल भाई , वर्तमान पर बहुत अच्छी गज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें । आदरणीय समर भाई जी की सलाह पर गौर कीजियेगा ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 21, 2016 at 9:27pm

जनाब अतुल साहिब , अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
शेर 5 के सानी मिसरे में ऐबे -तनाफूर है ( हैरत -तेरी )
सही शब्द" दुकान / दुक्कान " है इस हिसाब से क़ाफ़िया " दूकानदारी "
नहीं बल्कि " दुक्का नदारी " होगा देख लीजियेगा

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 20, 2016 at 6:36pm
क्या गजब ढाया है शब्दों से अतुल जी आप ने ।
हूँ मै हतप्रभ आपकी कारीगरी को देख कर ।।।।
बधाई
सादर नमन
Comment by atul kushwah on November 20, 2016 at 5:20pm

Aadarneeya Samar kabeer sir. Mai Nirdesh pure karta hu.ashish banaye rakhen. sadar-Atul

Comment by atul kushwah on November 20, 2016 at 5:13pm
Comment by atul kushwah on November 20, 2016 at 5:11pm

Aadarneeya Mirza Hafiz Baig sahab..apka aabhar. dua aashish banaye rakhein. sadar-Atul

Comment by atul kushwah on November 20, 2016 at 5:10pm

Aadarneeya Dr Ashutosh Mishra sir..apka aabhar. shukriya. sadar-Atul

Comment by atul kushwah on November 20, 2016 at 5:09pm

Aadarneeya Dharmendra ji..apka tahedil se aabhar.shukriya sadar-Atul

Comment by atul kushwah on November 20, 2016 at 5:08pm

Aadarneeya Sheikh Shahzad Usmani sir, apka bahut bahut aabhar.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service