For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तृषित नज़र .....

तृषित नज़र अवसन्न अधर
मौन भाव  सब  हुए  प्रखर
नयन घटों की  हलचल में
मधु  पल सारे  गए बिखर

तृषित नज़र अवसन्न अधर 
मौन भाव  सब  हुए  प्रखर 

देह दिगम्बर  रैन   निहारे
बिंब चुंबन के  देह  सँवारे
प्रेम बंध सब  चूर  हो  गए
स्वप्न  वात  में   गए बिखर 

तृषित नज़र अवसन्न अधर 
मौन भाव  सब  हुए  प्रखर 

निर्झर बन बही विरह वेदना
अमृत पल कुछ रहे  शेष न
श्वास श्वास से स्वप्न  झरे  सब
पल पल लोचन से रिसा उर

तृषित नज़र अवसन्न अधर 
मौन भाव  सब  हुए  प्रखर 

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 410

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 21, 2016 at 1:12pm

आदरणीय  Tasdiq Ahmed Khan साहिब प्रस्तुति को आपने आत्मीय स्नेह  देने का हार्दिक आभार।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 20, 2016 at 9:57pm

मुहतरम  जनाब  सुशील सरना  साहिब ,  बहुत ही सुन्दर रचना हुई है  ,  मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं   ---

Comment by Sushil Sarna on November 20, 2016 at 7:42pm

आदरणीय डॉ. गोपाल जी भाई साहिब प्रस्तुति को आपने आत्मीय स्नेह से आशीर्वाद देने का हार्दिक आभार। आपका कहना सही है मैंने इसे छंद आधार मान कर नहीं लिखा। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 19, 2016 at 11:59am

तृषित नज़र अवसन्न अधर
मौन भाव  सब  हुए  प्रखर -----------------सुन्दर मनमोहन  छंद  (8,6) अंत में 111 -----यह निर्वाह आद्यांत कायम नहीं रहा शायद छंद की नजर से नहीं लिखा गया . भाव की दृष्टि से उत्तम रचना . सदा की भाँति , सादर सरना जी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service