For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( किस ने फूंके नशेमन तमाम )

ग़ज़ल
---------
212 -212 -2121 /212

उसपे वारा है जीवन तमाम ।
जिस में मौजूद हैं फ़न तमाम ।

सख़्त लहजे का अंजाम है
हो गए तुझ से बद ज़न तमाम ।

उनको देखूंगा जब तक नहीं
दिल की होगी न धड़कन तमाम।

अबतो आ जाओ बन कर बहार
उजड़ा उजड़ा है गुलशन तमाम ।

किस को सौंपें क़यादत भला
रहबरों में हैं रहज़न तमाम ।

पूछना है तो बिजली से पूछ
किस ने फूंके नशेमन तमाम ।

इश्क़ तस्दीक़ आसाँ नहीं
हैं निहाँ इस में बंधन तमाम ।

( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 23, 2016 at 6:43pm

मुहतरम जनाब मिथिलेश साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 22, 2016 at 11:36pm

आदरणीय तस्दीक जी, वाह वाह वाह.... क्या ही उम्दा ग़ज़ल कही है. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 22, 2016 at 9:37pm

मुहतरम जनाब गिरिराज साहिब , ग़ज़ल में शिरकत और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 22, 2016 at 11:28am

आदरणीय तस्दीक भाई , उमदा गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ आपको ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 21, 2016 at 5:06pm

जनाब सुरेंद्र नाथ साहिब , ग़ज़ल की सराहना और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2016 at 5:52am
मोहतरम तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन,
आपकी गजल का हर शेर सवा शेर, बधाई निवेदित है।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 20, 2016 at 7:23pm

 जनाब आमोद बिंदोरी  साहिब  , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया , महरबानी ---

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 20, 2016 at 7:19pm

मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया , महरबानी ---

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 20, 2016 at 6:39pm
बहुत खूब आ तस्दीक साहब

बधाई नमन
Comment by Samar kabeer on November 20, 2016 at 5:03pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service