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ग़ज़ल - तू वो ही है , जो सच में है तेरे अंदर ( गिरिराज भंडारी )

1222    1222    1222   

उसे कह दो जहाँ हूँ मैं वहाँ समझे

ज़मीं हूँ मैं, न मुझको आसमाँ समझे

 

हो किससे गुफ़्तगू इस दश्ते वीराँ में

कोई तो हो, जो मेरी भी ज़बाँ समझे

 

हक़ीक़त आशना है क्यूँ भला वो भी

है राहे संग उसको कहकशाँ समझे

 

छिनी रोटी तो छायी बद हवासी है

मुझे मयख़्वार क्यूँ सारा जहाँ समझे

 

मुहज़्ज़ब जो दबा लेता है नफरत, को

सही समझे अगर, आतिशफ़िशाँ समझे 

 

तू वो ही है , जो सच में है तेरे अंदर 

तू वो भी है, जो तुझको ये जहाँ समझे

 

परिन्दा एक देखो ज़िद पे बैठा है      

कफस के दायरे को आसमाँ समझे

 

हरारत धूप सी देने लगा है वो 
जिये अब तक, जिसे हम सायबाँ समझे

 

पराये भी समझने का किये दावा

मगर है सच, कि अपने भी कहाँ समझे 

 

समय का आखिरी सफ़हा ये कह देगा

वो फ़ानी था जिसे तुम जाविदाँ समझे

************************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment by vijay nikore on November 28, 2016 at 7:54am

बहुत ही खूबसूरत गज़ल कही है। बधाई।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 27, 2016 at 7:26pm

इस शानदार ग़ज़ल के लिए दाद कुबूल करें आदरणीय गिरिराज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 27, 2016 at 10:32am

आदरनीय सुरेश भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 27, 2016 at 10:31am

आदरणीय बृजेश भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on November 27, 2016 at 9:10am
श्रद्धेय गिरिराज भंडारी जी बहुत ही खूबसूरत रचना।हार्दिक बधाई स्वीकार करें।सादर।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 27, 2016 at 8:53am
वाह आदरणीय क्या खूबसूरत ग़ज़ल कही है...बेहतरीन

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 26, 2016 at 4:08pm

आदरणीय वासुदेव भाई , हौसला अफज़ाई का बेहद शुक्रिया आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 26, 2016 at 4:08pm

आदरणीय बैजनाथ भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 26, 2016 at 4:07pm

आदरनीया राजेश जी , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका । आपको तीन शेर कोट करने योग्य ,जान कर खुशी हुई , आभार आपका पुनः ।

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 25, 2016 at 11:50am

आदरणीय गिरिराज साहेब ...........बहुत उम्दा गज़ल ................ बधाई कबूल फरमाएं।

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