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ग़ज़ल ( वो वादे से अपने मुकर जाएगा )

ग़ज़ल ( वो वादे से अपने मुकर जाएगा )
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फऊलन -फऊलन -फऊलन -फअल

ख़बर थी किसे एसा कर जाएगा |
वो वादे से अपने मुकर जाएगा |

न अब और ले इम्तहाने वफ़ा
ये दीवाना हद से गुज़र जाएगा |

चला तीर तिरछी नज़र का अगर
बचाएँगे दिल तो जिगर जाएगा |

बपा हश्र हो जाएगा उस जगह
वो जिस रास्ते पर ठहर जाएगा |

करेगा सितम के जो दौरान उफ़
निगाहों से उनकी उतर जाएगा |

सितमगर की महफ़िल का दस्तूर है
अगर कोई बोला तो सर जाएगा |

ख़याले सनम ही वो तस्दीक़ है
जो दिल से नहीं उम्र भर जाएगा |

( मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 8, 2016 at 9:58pm

मुहतरम विजय साहिब , ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---

Comment by vijay nikore on December 6, 2016 at 7:41am

 इस खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 5, 2016 at 8:51pm

मुहतरम जनाब  महेंद्र कुमार   साहिब ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 5, 2016 at 8:50pm

मुहतरम जनाब  बासुदेव नमन   साहिब ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 5, 2016 at 8:50pm

मुहतरम जनाब  गोपाल नारायण  साहिब ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 5, 2016 at 8:49pm

मुहतरम जनाब मिथिलेश साहिब ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----

Comment by Mahendra Kumar on December 5, 2016 at 8:08pm
बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय तस्दीक़ जी। बहुत-बहुत बधाई। सादर।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on December 5, 2016 at 6:56pm
आ0 तस्दीक साहिब वाह!!! बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल। शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएँ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 5, 2016 at 3:43pm

आ० खान साहिब , बहुत उम्दा  आपको मुबारकवाद  


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Comment by मिथिलेश वामनकर on December 4, 2016 at 10:47pm

आदरणीय तस्दीक जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. दाद कुबूल फरमाएं. 

//सितमगर की महफ़िल का दस्तूर है 
अगर कोई बोला तो सर जाएगा |// वाह 

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