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जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , बेरोज़गार बेटे और बूढ़े बाप की चिंता का अच्छा मंज़र आपने लघु कथा में दर्शाया है , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं --
आ० उस्मानी जी , वार्तालाप कहानी कला का एक अंग अवश्य है पर इससे पूरी कहानी नहीं बनती , कहानी में घटना का चित्रंण अनिवार्य है उसी से नाटकीयता पैदा होती है अर्थात कहानी सुनायी न जाए अपितु दिखाई जाए , ऐसा नहीं है कि संवाद शैली गलत है हम इससे भाव सम्प्रेषण तो कर ही सकते हैं , पर वह अलग विधा है , लघु कथा विधा से इतर इस संवाद में आपका सन्देश प्रभावित अवश्य करता है पर यदि आप मेरा आशय समझ रहे हैं तो आप और बेहतर करेंगे , आपमें प्रतिभा तो है ही . . सादर .
अच्छी लघुकथा साझा हुई ,आदरणीय शेख साहब। बहुत बहुत बधाई आपको
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