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लेकिन आगे कैसे बढ़ लें? - (गीत) - मिथिलेश वामनकर

नई नई कुछ परिभाषाएँ, राष्ट्र-प्रेम की आओ गढ़ लें।

लेकिन आगे कैसे बढ़ लें?

 

मातृभूमि के प्रति श्रद्धा हो, यह परिभाषा है अतीत की।

महिमामंडन, मौन समर्थन परिभाषा है नई रीत की।

अनुचित, दूषित जैसे भी हों निर्णय, बस सम्मान करें सब।

हम भारत के  धीर-पुरुष हैं,  कष्ट सहें, यशगान करें सब।

चित्र वीभत्स मिले जो कोई,

स्वर्ण फ्रेम उस पर भी मढ़ लें।

 

मर्यादा के पृष्ट खोलकर, अंकित करते भ्रम का लेखा।

राष्ट्रवाद का कोरा डंका, निज स्वार्थों से पूरित देखा।

दुष्प्रचार की क्रीड़ा करते, जन-धन को न्योछावर कर दें।

जन-जन के वें अंतर्मन में,  सोच समझ कुछ ऐसी भर दें।

कष्ट लिखा हो जिन पन्नों पर,

उनको भी सुखदायी पढ़ लें।

 

प्रश्न करे जब लोकतंत्र का, उत्तर देकर वह  छलता है।

नवल भूमिका देखी छवि की, खेल धारणा का चलता है।

हाथी के पीछे छिपकर वें,चींटी को विकराल बताते।

शासक हैं या उड़ते पक्षी, अद्भुत सी बातें सिखलाते।

वृक्ष खड़े हैं नदिया तीरे,

उल्टी धारा हो तो चढ़ लें।

 

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(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2017 at 11:50pm

आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2017 at 11:49pm

आदरणीय महेन्द्र जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।

Comment by narendrasinh chauhan on January 2, 2017 at 7:30pm

आदरणीय मिथिलेश सर, खूब सुन्दर रचना 

Comment by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 3:24pm
आदरणीय मिथिलेश सर, समसामयिक परिदृश्य पर बहुत ही शानदार गीत रचा है आपने। मेरी तरफ से दिल से बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 2, 2017 at 10:58am
आदरणीय मिथिलेश सर हार्दिक बधाई इस गीत के लिए। सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2017 at 10:34am
आदरणीय समर कबीर जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2017 at 10:34am
आदरणीय सुरेंद्र जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2017 at 10:33am
आदरणीय तेजवीर सिंह जी
इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2017 at 10:31am
आदरणीय गोपाल सर, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक धन्यवाद । सादर।
Comment by Samar kabeer on January 1, 2017 at 5:05pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,बहुत बढ़िया गीत लिखा है आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

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