वेदना अभिशप्त होकर,
जल रहें हैं गीत देखो।
विश्व का परिदृश्य बदला और मानवता पराजित,
इस धरा पर खींच रेखा, मनु स्वयं होता विभाजित ।
इस विषय पर मौन रहना, क्या न अनुचित आचरण यह ?
छोड़ना होगा समय से अब सुरक्षित आवरण यह।
कुछ कहो, कुछ तो कहो,
मत चुप रहो यूँ मीत देखो।
वेदना अभिशप्त होकर,
जल रहें हैं गीत देखो।
मन अगर पाषाण है, सम्वेदना के स्वर जगा दो।
उठ रही मष्तिष्क में दुर्भावनायें, सब भगा दो।
कुछ करो निश्चित, अनिश्चित से जगत की क्षति सुनिश्चित।
शक्ति बिखरी है, समेटो, पुंज उर्जा का हो अर्जित।
सुख मिलेगा उस घड़ी,
जब हार में भी जीत देखो।
वेदना अभिशप्त होकर,
जल रहें हैं गीत देखो।
आज मानवता न जाने किस दिशा में बढ़ रही है?
आधुनिकता से प्रपंचित पाठ कुंठित पढ़ रही है ।
नवग्रहों का श्राप लेकर, क्यों अहम् में सूर्य काला।
ज्ञात हो क्योंकर चतुर्दिक झूठ का है बोलबाला?
सत्य को आँसू मिले हैं,
इस जगत की रीत देखो।
वेदना अभिशप्त होकर,
जल रहें हैं गीत देखो।
युग बदलतें हैं प्रयासों से, तनिक यह भान रखना।
एक मानव दूसरे का सीख जाए मान रखना।
एक होंगे इस क्रिया से, दूर हों सारे झमेले।
कब सहज एकांत जीवन? मत रहो ऐसे अकेले।
साथ देखो, हाथ देखो,
प्रेम देखो, प्रीत देखो।
वेदना अभिशप्त होकर,
जल रहें हैं गीत देखो।
अनगिनत हैं वेदनाएँ, अनगिनत है धारणाएँ,
लक्ष्य तब ही मित्र होगा, जब नियंत्रित कामनाएँ।
जब मनुजता के लिए ही त्याग या सद्कर्म होगा,
जब मनुजता शर्त होगी और मानव धर्म होगा।
क्षुब्ध मन को प्राप्य तब,
आनंद आशातीत देखो।
वेदना अभिशप्त होकर,
जल रहें हैं गीत देखो।
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(मौलिक व अप्रकाशित) © मिथिलेश वामनकर
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Comment
आदरणीया राजेश दीदी, गीत आप तक पहुँच गया और आपको पसंद आया, मेरा लिखना सार्थक हो गया. आपकी प्रशंसा पाकर अभिभूत हूँ. हार्दिक आभार नमन
पहले तो गीत के मुखड़ें ने ही मन मोह लिया सभी बंद बेहद शानदार सारगर्भित हुए हैं मिथिलेश भैया
अनगिनत हैं वेदनाएँ, अनगिनत है धारणाएँ,
लक्ष्य तब ही मित्र होगा, जब नियंत्रित कामनाएँ।
जब मनुजता के लिए ही त्याग या सद्कर्म होगा,
जब मनुजता शर्त होगी और मानव धर्म होगा।
क्षुब्ध मन को प्राप्य तब,
आनंद आशातीत देखो।
वेदना अभिशप्त होकर,
जल रहें हैं गीत देखो।---बहुत ही शानदार गीत
हार्दिक बधाई स्वीकारें
आदरणीय डॉ. विजय शंकर सर, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर
आदरणीय महेन्द्र जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आपका. सादर
आदरणीय सतविन्द्र जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आपका. सादर
आदरणीय गोपाल सर, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आपका. सादर
आदरणीय सुरेन्द्र जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आपका. सादर
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