For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...बे-रंग-ओ-बू है ये ज़िंदगानी

121 22 121 22 121 22 121 22
बशर परेशां दरकतीं राहें पहाड़ सी ज़िन्दगी हुई है
कदम जहाँ सकपका के रक्खा वहीँ ज़मीं दलदली हुई है

बे-रंग-ओ-बू है ये ज़िंदगानी हँसी सा कोई मक़ाम दे दो
कि ये उदासी मेरे लवों पे कई दिनों से बसी हुई है

जिन्हें संभाला जिन्हें सँवारा वो ख्वाब जाने क्यों रूठ बैठे
सुबह से पलकों पे ओस आई औ आँख भी शबनमी हुई है

कफ़स से तो हम निकाल लाये मगर छुपाया ज़माने भर से
कि शूल बन कर वही सदा अब ह्रदय के अन्दर चुभी हुई है

अज़ब तमाशा है तेरा मौला क्या खूब तेरी है रहनुमाई
वहीँ वहीँ पे गिरी बिजुरिया जहाँ जरा रौशनी हुई है

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 1062

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 6, 2017 at 9:56pm
बारम्बार नमन करता हूँ आदरणीय डॉ आशुतोष जी आपकी मनमोहक टिप्पड़ी से अतिप्रसन्ता का अनुभव हुआ ...हार्दिक आभार..
Comment by Samar kabeer on January 6, 2017 at 9:46pm
बृजेश जी ये भी ग़ज़ल की कक्षा ही चल रही है,सभी रचनाओं पर आई टिप्पणियाँ पढ़ लिया करें,बहुत लाभ होगा ।ओबीओ ज़िंदाबाद।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 6, 2017 at 7:46pm
समझ गया आदरणीय मिथिलेश जी...मैंने रंग-ओ-बू को 2122 लिया है जो उचित नहीं है...ग़ज़ल की बारीकियों से अभी अनिभिज्ञ हूँ.. आप लोगों के सानिध्य में थोडा बहुत सीख रहा हूँ..इस मापनी पे ये पहली कोशिश है।आदरणीय समर जी एवं आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ..यहाँ से काफी कुछ सीखा है बस थोडा समय की कमी के कारन ग़ज़ल की कक्षा नहीं ले पा रहा हूँ..
Comment by Mahendra Kumar on January 6, 2017 at 3:33pm
आदरणीय बृजेश जी, इस उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 6, 2017 at 9:52am
आदरणीय भाई बृजेश जी इस ग़ज़ल को गुनगुनाने में बहुत आनद आया दुसरे शेर में मैं अटका था उस प्रश्न का जवाब मिल गया है आदरणीय मिथिलेश जी के प्रतिक्रिया से नयी जानकारी मिली रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 6, 2017 at 2:10am

आदरणीय बृजेश जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है. बधाई. 
बे-रंग-ओ-बू (?)ये ज़िंदगानी हँसी सा कोई मक़ाम दे दो ----------- ये आपका मिसरा है
बे रंग-ओ-बू है ये ज़िन्दगानी हसीं सा कोई मक़ाम दे दो----------- ये आदरणीय समर कबीर जी द्वारा साझा किया गया संशोधन 
बे रंगो-बू है ये ज़िन्दगानी हसीं सा कोई मक़ाम दे दो--------------- मिसरे का उच्चारण ऐसे होगा.

वाव -ए- अत्फ़ -उर्दू भाषा में जब दो शब्दों के बीच 'व', 'तथा', 'और' आदि शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वहाँ अत्फ़ का प्रयोग भी किया जा सकता है वाव अर्थात "ओ" की मूल मात्रा लघु होती है इसे भी जरूरत पड़ने पर उठा कर दीर्घ मान सकते हैं| अर्थात यहाँ भी मात्रा उठाने का नियम लागू हो सकता है 
रंग-ओ-बू का वज्न रंगो-बू अनुसार २१-२ या २१-१ अथवा मात्रा उठा कर (२२-२ या २२-१) हो सकते है परन्तु यह रंग२१ ओ१ बू २या १ और रंग२१ ओ२ बू२ या १ नहीं हो सकता है. यहाँ बू की मात्रा गिराकर आपने ली है इसलिए बू को २ या १ लिखा है .सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 5, 2017 at 10:50pm
आपके अमूल्य समय के लिए हार्दिक आभार आदरणीय...बे रंग-ओ-बू है ये ज़िन्दगानी हसीं सा कोई मक़ाम दे दो..आदरणीय ग़ज़ल की पंक्ति में है का इस्तेमाल नहीं किया है..
Comment by Samar kabeer on January 5, 2017 at 10:12pm
बे रंग-ओ-बू है ये ज़िन्दगानी हसीं सा कोई मक़ाम दे दो
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 5, 2017 at 8:34pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार☺
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 5, 2017 at 8:32pm
रचना पे सुन्दर एवं मनोबल बढ़ाने वाली टिप्पड़ी के लिए ह्रदय से आभार आदरणीय सुंरेंद्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
5 minutes ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
2 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी ठीक है  मशविरा सब ही दे रहे हैं पर/ मगर ध्यान रख तेरे काम का क्या है ।"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई।"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई आपको।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service