For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुहरे की इक चादर ओढ़े, देखो जाड़ा आया है |
लगातार गिरते पारे ने, फिर कुहराम मचाया है||

इसके आगे आज सभी ने, अपना शीश नवाया है |
सूरज का तेज हुआ मद्धिम, चाँद खूब मुस्काया है ||

हर कोई यहाँ दिख रहा है, मख़मली दुशाला ओढ़े |
कपड़े सबके ऊनी फिर भी, साथ न यह जाड़ा छोड़े ||

कही ठिठुरते दादा दादी, कही काँपती नानी है |
कही रात भर गिरता पाला, कही बर्फ सा पानी है ||

सन-सन चलती हवा रात दिन, थर-थर हाड़ कपाती है |
जलता अलाव मिले जहाँ भी, भीड़ वही लग जाती है ||

बच्चे हों या बूढ़े जवान, सबकी एक कहानी है |
रोज नहाने में ही अक्सर, होती आनाकानी है ||

कम्बल ओढ़े आग तापते, देह नही गरमाती है |
बिस्तर कोई जैसे छोड़े, गर्म चाय ललचाती है ||

साथ बैठ मूंगफली खाते, आपस में गपियाते हैं |
जिस दिन भी छुट्टी हो अपनी, पिकनिक खूब मनाते हैं ||

छत पर बैठे धूप सेंकते, पेपर पढ़ते जाते हैं |
अच्छी बुरी खबरों के बीच, मन ही मन मुस्काते हैं ||

साथ मटर छिलते सारे गर, होता कुछ बनवाना है |
जाड़े भर खाने को मिलता, तिल गुड़ लाई दाना है ||

गरम पकौड़ी चिप्स रेवड़ी, मम्मी लगी बनाने में
शकरकंद आलू सिंघाड़ा, सबको मिलता खाने में ||

बच्चे पतंग खूब उड़ाते, बाघ कटा चिल्लाते हैं |
जाड़े में मस्ती वो करते, दिनभर उधम मचाते हैं ||

मौलीक व अप्रकाशित

Views: 750

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on January 27, 2017 at 8:33pm
आदरणीय सुरेंद्रजी, जाड़े पर सटीक रचना , बधाई !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2017 at 8:21pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , जाड़े पर अच्छी रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ । लय साधने मे कुछ कमियाँ हैं , ख्याल कीजियेगा ।

Comment by pratibha pande on January 25, 2017 at 9:14pm

सर्दी का स्वाद भर गया मुहँ  में   ढेरों बधाई आपको इस रचना के लिए आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी 

Comment by नाथ सोनांचली on January 25, 2017 at 3:02am
आदरणीय सुशील सरना जी आभार आपका हौसला अफजाई के लिए
Comment by Sushil Sarna on January 24, 2017 at 8:12pm

आदरणीय सर्दी के हालातों की खूब मंज़रकशी की आपने।  इस सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई । 

Comment by Sushil Sarna on January 24, 2017 at 8:12pm

आदरणीय सर्दी के हालातों की खूब मंज़रकशी की आपने।  इस सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई । 

Comment by नाथ सोनांचली on January 24, 2017 at 4:22pm
आदरणीय समर साहब प्रणाम, रचना पर हौसला अफ़जाई के लिए हृदय तल से आभार
Comment by Samar kabeer on January 24, 2017 at 2:37pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,जाड़े पर अच्छी प्रस्तुति है, बधाई स्वीकार करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on January 24, 2017 at 4:10am
आद0 मोहम्मद आरिफ जी हौसला अफजाई के लिए हृदय तल से आभार
Comment by Mohammed Arif on January 23, 2017 at 5:35pm
आदरणीय सुरेंद्रजी, आदाब ! जाड़ेंं का अहसास कराती रचना के लिए बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
21 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service