For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज सुनो मैं तुमको यारों, सच्ची बात बताता हूँ |
झुग्गी में रहने वालों की, इक तस्वीर दिखाता हूँ ||
दूषित पानी हवा विषैली, जैसी कई निशानी है |
ये प्यासे नित कूँआ खोदें, इनकी यही कहानी है |1|

कोई बच्चा फेंका जूठन, जहाँ प्यार से खाता है |
कोई बचपन से ही घर का, सारा बोझ उठाता है ||
यहाँ घरों में हर बालक का, जन्म कर्ज में होता है |
उम्र कर्ज में ही कटती है, कर्ज लिए ही सोता है |2|

कोई नन्ही बुधिया मुनिया, नग्न बदन दिख जाती है |
कोई बुढ़िया बिन इलाज के, घर में ही मर जाती है ||
नन्हे बच्चे जहाँ स्कूल का, मुँह तक देख न पाते है |
अपने अधिकारों से वंचित, अनपढ़ ही रह जाते है |3|

वोट समय ही नेताओं को, झुग्गी वाले भाते है |
वादों की भरमार लिए फिर, इनके दर वो आते है |
जूझ रहे इनके जीवन को, बहुत लोग फिल्माते है ||
दिखा तमाशा दुनिया को फिर, वो ऑस्कर पा जाते है |4|

कहीं घरों में इक रोटी पर, छीना झपटी होती है ||
और कहीं बस बिन खाये ही, बेबस माता सोती है |
लाचार पिता जब बच्चों को, स्वप्न दिखा बहलाता है |
तब इनके सब अरमानों को, बुलडोजर दहलाता है |5|

देख दुर्दशा कहता हूँ मैं, नही मिली आजादी है |
सब झूठे ही स्वप्न दिखाते पहन लिया जो खादी है ||
नालों में सड़ने की आखिर, इनकी क्यों मजबूरी है |
विकसित इक समाज से आखिर, क्यों कोसो की दूरी है |6|

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on February 16, 2017 at 4:19pm
भाई रामबली जी सादर आभार, आपकी प्रतिक्रिया से हौसला अफजाई होती है
Comment by रामबली गुप्ता on February 16, 2017 at 12:23pm
सुरेन्द्र भाई जी बहुत ही सुंदर प्रस्तुति हुई है। सादर बधाई स्वीकारें
Comment by नाथ सोनांचली on February 16, 2017 at 3:03am
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर धन्यवाद, आपकी हौसला अफजाई से लिखने की प्रेरणा मिलती है।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 15, 2017 at 10:43pm

आद० सुरेन्द्र नाथ जी ,प्रदत्त विषय पर बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी है देर से ही सही मगर बहुत खूब लिखा है आपने जिसके लिए दिल से बधाई लीजिये .

 फिर दिखा तमाशा दुनिया को,--- दिखा तमाशा दुनिया को फिर --करने से लय बेहतर होगी 

Comment by नाथ सोनांचली on February 15, 2017 at 3:49pm
आदरणीय रवि सर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह बढ़ता है, और सीखने को मिलता है। आभार आपका।
Comment by नाथ सोनांचली on February 15, 2017 at 3:49pm
आदरणीय रवि सर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह बढ़ता है, और सीखने को मिलता है। आभार आपका।
Comment by नाथ सोनांचली on February 15, 2017 at 3:48pm
आदरणीय समर कबीर साहब आपका दिल से आभार। आपकी प्रशंशा पाकर धमय हुआ। अभी संसोधन करता हूँ।
Comment by Ravi Shukla on February 15, 2017 at 2:13pm

आदरणीय सुरेन्‍द्र जी महोत्‍सव में भाग नहीं ले पाए पर आपकी रचना अब आ गई बधाई स्‍वीकार करें और इस पर आए सुझाावों पर भी ध्‍यान दीजियेगा ।

Comment by Samar kabeer on February 14, 2017 at 6:19pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,झुग्गियों की हालत बयान करती अच्छी प्रस्तुति हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

'कुछ तस्वीर दिखाता हूँ'इस पंक्ति में 'कुछ'शब्द बहुवचन के लिये हो रहा है,तो यूँ कहना पड़ेगा 'कुछ तस्वीरें दिखाता हूँ'और बह्र की वजह से ऐसा नहीं कह सकते,इसलिये 'कुछ'शब्द के स्थान पर "इक" कर लीजियग़ा ।
Comment by नाथ सोनांचली on February 12, 2017 at 7:05pm
आद9 भाई आशुतोष जी आपकी प्रशंसा पाकर आश्वस्ति हुयी। आपका दिल से आभार
जिस पंक्तियो में संशय है, उनको हमने इस नेताओ के कड़ी पहन कर झुग्गी झोपडी वालो को बेवकूफ बनाने की तरफ इंगित किया था।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service