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श्रद्धेय सौरभ सर सादर वन्दन!आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहा करती है,आपकी हर टीप से आगामी प्रयास के लिए पथ दर्शन होता है।आपके संकेत को मैं भली भांति समझ पा रहा हूँ।शब्दों की इस प्रकार की आवृत्ति पुनः न हो,यही समुचित प्रयास रहेगा।कथ्य को ध्यान में रखते हुए ,ऐसा प्रयास करता रहूँगा।पुनः सादर नमन,एवं प्रयास पर उपस्थित होकर मार्गदर्शन करने के लिए सादर हारदिक आभार!
आदरणीय सतविन्द्र भाई, प्रस्तुत गीत पर हुआ आपका प्रयास और आपकी लगन स्पष्ट महसूस हो रही है. वाह वाह !
वैसे, प्रस्तुतीकरण में अब-तब-सब का अतिरेक खटक भी रहा है. किन्तु आपकी रचनाओं को देख कर यह भान अवश्य हो रहा है, और आपके प्रति यह आश्वास्ति अवश्य बन रही है, कि आप पंक्तियों के माध्यम से भावनाओं और भावों को शाब्दिक करने में सुगठित होते जा रहे हैं. आपकी लगन दीर्घकालिक हो. सादर शुभकामनाएँ
इस अच्छी रचना के लिए बधाई, आदरणीय सतविन्द्र जी
आ. भाई सतविंदर जी सूंदर गीत हुआ है हार्दिक बधाई .
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