एक सूरज ...
सो गया
थक कर
सिंधु के क्षितिज़ पे
ख़ुदा के दर पे
ज़मीं के
बशर के लिए
चैन-ओ-अमन की
फरियाद लिए
जलता हुआ
एक सूरज
संचार हुआ
नव जीवन का
भर दिया
ख़ुदा के नूर को
ज़मीं के ज़र्रे ज़र्रे में
करता रहा भस्म
स्वयं को
स्वयं की अग्नि में
बशर के
चैन-ओ-अमन
के लिए
एक सूरज
रो पड़ा
देखकर
बशर की फितरत
नूरे बख़्शीश को
समझ न सका
ग़ुरूर में
खुद को
ख़ुदा से बढ़ा कर लिया
लगा नापने
ज़मीन-ओ-आसमाँ को
अपने अहम् के पाँव से
शायद इसीलिये
रोज रोज
थक हारकर
सो जाता है
बशर को
समझाते समझाते
सिंधु के क्षितिज़ पे
अपने में
उम्मीद के
सूरज को समेटे
एक सूरज
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीय Mohammed Arif साहिब प्रस्तुति की आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सृजन के भावों ने आपको छुआ, सृजन उपकृत हुआ , हार्दिक आभार।
आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब प्रस्तुति में निहित भावों को सम्मान देने का शुक्रिया।
आदरणीया Neelam Upadhyaya जी प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का शुक्रिया।
आ.शिज्जु शकूर साहिब रचना को अपने आत्मीय स्नेह से पल्लवित करने का हार्दिक आभार।
अदरणीय सुशील सरना जी, बहुत ही बेहतरीन रचना । बधाई स्वीकार करें ।
बहुत सुंदर आ. सुशील सरना जी बेहतरीन रचना हुई है बहुत बहुत बधाई आपको
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online