लिख दें इबारत इश्क की,
आओ ज़रा सा झूम लें..
इक दूसरे को जी सकें, कब वक़्त ही इतना मिला
बस दूरियाँ थामे रहीं नज़दीकियों का सिलसिला,
कुछ पल मिले हैं साथ के आओ इन्हें जी लें अभी
हमको मिलें ये पल न जाने ज़िंदगी में फिर कभी,
ले उँगलियों में उँगलियाँ
आओ ज़रा सा घूम लें ...
लिख दें...
जब प्यार के एहसास के पहलू कई हैं अनछुए
क्यों पूछते हैं आप फिर गुमसुम भला हम क्यों हुए ?
सपने हमारे अश्क़ बन बहने लगें तो क्या करें
जब अनसुनी हर बात हो तो हौसला कैसे धरें ?
अब छोड़ कर शिकवे गिले
क़समें चलो मासूम लें।
लिख दें ...
लब कँपकपा कर थम गए, ख़ामोशियाँ कहने लगीं,
नज़रें मिलीं पलकें गिरीं, सरगोशियाँ बहने लगीं,
जब धड़कनों की ताल पर हर साँस का संगीत है,
तब क्या सही औ' क्या गलत, जो हो रहा है रीत है,
दिल चाहता है आज फिर
थामें हथेली चूम लें।
लिख दें ...
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आदरनीया प्राची जी , खूब सूरत प्रेम गीत के लिये आपको हार्दिक बधाई ।
वाह वाह..
बहुत खूब गीत बना है ..
बधाई
सुंदर गीत लिखा प्रिय प्राची जी बहुत बहुत बधाई |
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