For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं अलमस्त फकीर ..... गीत / डॉ० प्राची

टिपर-टिपर-टिप
टिपर-टिपर-टिप
पानी की इक बूँद झूम कर
मुस्काई फिर ये बोली...
मैं अलमस्त फकीर
टिपर-टिप
मैं अलमस्त फकीर...

चंचलता जब ओस ढली तो
पत्तों नें भी जोग लिया,
उनके हिस्से जितना मद था
सब का सब ही भोग लिया,

बाँध सकी पर बूँदों को कब
कोई भी ज़ंजीर...
टिपर-टिप
मैं अलमस्त फकीर...

रिमझिम-रिमझिम जब बरसी तो
जीवन के अंकुर फूटे,
अम्बर की सौंधी पाती ने
जोड़े सब रिश्ते टूटे,

बूँदें ही जीवन गाथा में
घोलें रंग अबीर...
टिपर-टिप
मैं अलमस्त फकीर...

सीप सँजो ले स्वाति बूँद तब
मोती बन कर इतराऊँ,
आस लगाए जब-जब मरुधर
दरिया सी दौड़ी आऊँ,

कभी ख़ुशी की छलकी गागर
कभी सिसकती पीर...
टिपर-टिप
मैं अलमस्त फकीर...

किसी दौर में किसी ठौर में 
ना ओढ़ा स्वामित्व कभी,
पर सागर हो या गागर हो
ना खोया अस्तित्व कभी,

कहाँ चाहना भी ऐसी, मैं
खींचूँ अमिट लकीर...
टिपर टिप
मैं अलमस्त फकीर...

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 794

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 26, 2017 at 2:00pm

दौर ठौर वाली पंक्ति की मात्रिकता पर ध्यान आकर्षित करने के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी 

 उसे "किसी दौर में किसी ठौर में" ऐसा कर रही हूँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 25, 2017 at 10:46pm

एक अरसे बाद पटल पर सुमधुर सस्वर कोई गीत साझा हुआ है. स्वागत है. भावपक्ष का कहना ही क्या ? वाह ! अंतर का दर्द अलमस्त अंदाज़ में निस्सृत हुआ है.

 शैल्पिक गहनता को सार और सरसी छंद ने गहराए दी है. छंदों का ऐसा प्रयोग सहज ही श्लाघनीय है. तो फिर, ’दौर कोई हो ठौर कोई हो’ जैसी पंक्ति स्थान पा गयी ? आपके सधे हाथों से मात्रा का गिरना असहज कर गया. 

प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाइयाँ.. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 25, 2017 at 8:22pm

आप सभी सुधि पाठकों का अनमोल प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 25, 2017 at 6:18pm

आ. प्राची जी बहुत दिनों बाद आपकी रचना से गुज़र रहा हूँ, बेहतरीन गीत हुआ है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Sushil Sarna on April 25, 2017 at 5:31pm

कहाँ चाहना भी ऐसी, मैं
खींचूँ अमिट लकीर...
टिपर टिप
मैं अलमस्त फकीर...

बहुत खूब आदरणीय डॉ प्राची जी ... बहुत ही सुंदर और दिलकश प्रस्तुति हुई है ... हार्दिक बधाई

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 25, 2017 at 4:42pm
अनुपम सरस गीत..बला की ताजगी समेटे हुए...बधाइयाँ
Comment by नाथ सोनांचली on April 25, 2017 at 7:32am
आद0 प्राची सिंह जी सादर अभिवादन, खूबसूरत सृजन पर बधाई।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2017 at 11:54pm
इस सूंदर गीत पर बधाई आदरणीया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
yesterday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service