For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की -कहीं सजदा किया, पूजा कहीं पत्थर तेरा,

२१२२/११२२/११२२/२२
.
कहीं सजदा किया, पूजा कहीं पत्थर तेरा,
अपने अंदर ही मगर मुझ को मिला घर तेरा. 
.
मेरी आँखों में उतरना तो उतरना बचकर,
ख़ुद में तूफ़ान छुपाए है..... समंदर तेरा.  
.
यूँ ही पीछे नहीं चलता है ज़माना तेरे,
नापता रहता है क़द ये भी बराबर तेरा.
.
दिल को आदत सी पड़ी है कि ख़ुदा ख़ैर करे,
ढूँढ लाता है कहीं से भी ये नश्तर तेरा.

तर्क  अब इस से ज़ियादा मैं करूँ क्या ख़ुद को
ये अना तेरे हवाले ये मेरा सर ....तेरा.

हिचकियाँ ‘नूर’ तेरी बंद भला हों कैसे
नाम इक शख्स लिया करता है अक्सर तेरा. 
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 944

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 8:10am

धन्यवाद आ. महेंद्र जी 

Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 10:23am

बहुत बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय निलेश जी. सभी शेर उम्दा हैं. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर. 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 24, 2017 at 10:14am

शुक्रिया आ. अनुराग जी ...
जिसे आप सूफ़ी प्रभाव कह रहे हैं वो अस्ल में मानने और नहीं मानने के  मैदान में नदी-पहाड़ खेलने जैसा है ...
दाम  बचाने के लिये पहाड़ पर.... बाक़ी.. तेरी नदी में रोटी पकाऊं 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 24, 2017 at 9:10am

शुक्रिया आ. बृजेश जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 23, 2017 at 4:40pm
इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 21, 2017 at 10:29pm

शुक्रिया आ. शिज्जू भाई 

आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 21, 2017 at 4:14pm

बेहतरीन ग़ज़ल हुई है आ. निलेश भाई बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल के लिए,

यूँ ही पीछे नहीं चलता है ज़माना तेरे,
नापता रहता है क़द ये भी बराबर तेरा// वाह क्या खूब कहा

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2017 at 8:09pm

शुक्रिया आ. सतविन्द्र भाई 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2017 at 8:08pm

शुक्रिया आ. समर सर 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 20, 2017 at 4:18pm
आदरणीय निलेश जी सारे अशआर कमाल कहे हैं। दिली मुबारकबाद कुबुल फरमाएँ!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service