अपने घर लौटा तो कोई था न स्वागत के लिए
घर के दरवाजों पे ताले थे शरारत के लिए
जब कहा मन ने तो ‘मोबाइल’ उठाकर बात की,
अब प्रतीक्षा कौन करता है किसी ख़त के लिए?
मैं बरी होकर भी दोषी हूँ स्वयं की दृष्टि में,
कुछ अलग कानून है मन की अदालत के लिए
बाहुबल से भी अधिक धन-बल जरुरी हो गया
हाँ, तभी जाकर जुटा जन-बल सियासत के लिए
अब न वैसे दोस्त हैं, परिजन भी अब वैसे नहीं,
आप किसके पास जायेंगे शिकायत के लिए?
हानि अथवा लाभ का चश्मा चढ़ा लेने के बाद-
वो बहुत चिंता नहीं करती है ‘अस्मत’ के लिए
झोंपड़ी की छत मिली सौ कोशिशों के बाद ही
एक भी कोशिश न की आकाश की छत के लिए
ज़हीर कुरैशी
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय ज़हीर भाई , ओ बी ओ पर स्वागत है आपका । आपके मार्गदर्शन के मंच की गज़लों मे और निखार आयेगा ।
आदरनीय , बेहतरीन गज़ल से मंच को नवाजा है आपने , आपको हृदय से बधाइयाँ । आदरणीय , मेरी व्यक्तिगत समझ से ' खत ' काफिया सही है .... फिर भी आपके मार्गदर्शन का इंतिज़ार है ।
मोहतरम तस्दीक साहिब, मोहतरम ज़हीर साहब वरिष्ठ ग़ज़लकारों में से एक है जिनकी कई किताबें प्रकाशित हुई हैं। आपकी ख्याति हिंदुस्तानी ज़बान के ग़ज़लकार के रूप में है, इनकी अन्य रचनाएँ आप पढेंगे तो बात साफ हो जाएगी कि इन्होंने यहाँ ख़त काफिया क्यों लिया है।
माजरत के साथ
मोहतरम जनाब ज़हीर कुरैशी साहब आदाब, ओबीओ के मंच पर आपको देखकर इंतिहाई खुशी हो रही है, आपके जैसे वरिष्ठ ग़ज़लकार के आने से यह मंच और समृद्ध हुआ है, निस्संदेह आपके अनुभवों से हम नए गज़लकारों को सीखने के लिए बहुत कुछ मिलेगा। इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दाद ओ मुबारक़बाद कुबूल फरमाएँ
मोहतरम जनाब ज़हीर कुरैशी साहब आदाब, ओबीओ के मंच पर आपको देखकर इंतिहाई खुशी हो रही है, आपके जैसे वरिष्ठ ग़ज़लकार के आने से यह मंच और समृद्ध हुआ है, निस्संदेह आपके अनुभवों से हम नए गज़लकारों को सीखने के लिए बहुत कुछ मिलेगा। इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दाद ओ मुबारक़बाद कुबूल फरमाएँ
हार्दिक अभिनन्दन जहीर जी इस सीखने सिखाने के शानदार मंच पर आपका .उम्दा ग़ज़ल हुयी है इसके लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर
हार्दिक अभिनन्दन जहीर जी इस सीखने सिखाने के शानदार मंच पर आपका .उम्दा ग़ज़ल हुयी है इसके लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online