For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन क्रम
संगत-असंगत
जड़ चेतन


नदी की धारा
काँपती पतवार
मन भँवर


चढ़ती धूप
लम्बी परछाइयाँ
ढलती धूप


धुप्प अंधेरा
दिए की हिलती लौ
आखरी आस


सूना आंगन
चाँदनी चुप-चाप
व्यथित मन


मन के रिश्ते
छितरे तार-तार
ऐसे बेगाने

बासी हो जातीं
दिल में बसी यादें
टूटें सपने

 

Views: 382

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 6, 2012 at 9:50pm

मन के रिश्ते
छितरे तार-तार
ऐसे बेगाने

बासी हो जातीं
दिल में बसी यादें
टूटें सपने

आदरणीया नीलम जी ..जिन्दगी के उतार चढाव रहते ही हैं संग -संग ..सुन्दर रचना 

जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by Veerendra Jain on June 6, 2011 at 12:33pm

सूना आंगन
चाँदनी चुप-चाप
व्यथित मन,

 

Neelam didi..saare ek se badhkar ek hain...aur inka shilp to bas dekhte hi banta hai..bahut bahut badhai aapko..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 6, 2011 at 12:19pm

हाइकू के लिये शुक्रिया.

पहली तीनों हाइकू की अंतर्धारा बहुत तीव्र है. इस के लिये आपको कोटिशः धन्यवाद.

 

एक बात,

//बासी हो जातीं
दिल में बसी यादें
टूटें सपने//

यादों का बासी होना.. ?? भइ, वो तो हमेशा इतना ताज़ा रहती हैं कि ताज़ा लफ़्ज़ को अब याद ही कहना चाहिये. 

खैर, पढ़ना अच्छा लगा.

Comment by Neelam Upadhyaya on June 6, 2011 at 10:59am

योगराज जी,
आदर भरा मेरा
है नमस्कार ।

 

मेरी हाइकू
एक छोटी कोशिश
तुच्छ प्रयास


मेरी तारीफ
आपका बड़प्पन
है धन्यवाद


नहीं मानती
अपने आप को मैं
इस काबिल

 

कुछ भूल हो
कभी कोई मुझसे
करें सुधार 
 
यूँ ही हमेशा
बढ़ाएँ मनोबल
यही आग्रह

 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 4, 2011 at 12:05pm
नीलम जी आप इस विधा में वरदहस्त हस्ताक्षर हो गई हैं, इतने सुन्दर हाइकु कहती हैं की कई बार आपसे ईर्ष्या होने लगती है ! दिल से बधाई आपको !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
19 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service