For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिक्षा सबके लिए ( लघुकथा)

" तुम मुझे रोज़ लेने आ जाती हो , मेरे बाबा मुझे डाँटते है । उनको लगता है मैं आलसी हूँ , स्कूल नहीं जाना चाहती । " शीला ने अपनी सहेली मीना से कहा ।

" हाहा हाहा , सही तो कहते है तुम्हारे बाबा , पढ़ाई चोर तो तुम हो ही , जब देखो तुम्हारी कॉपियां अधूरी रहती है ...।" मीना ने हंसकर कहा

" धत्त , कोई नहीं झूठी मेरी कॉपियां तो पूरी होती है , वो तो ....... वो तो ........."अपनी माँ की तरफ़ देखकर शीला चुप हो गयी ।

मीना यह बात जानती थी कि शीला की माँ को शीला का स्कूल जाना पसंद नहीं था । सुना था उनको किसीने नहीं पढ़ने दिया था , जब भी पढ़ाई की बात करती थी उनको मार पड़ती थी । पहले पहले तो वह लोगो पर नाराज़ होतीं थी फिर धीरे धीरे उनको किताबों से ही नफरत हो गयी थी । शीला का पढ़ना , उनसे जाने क्यों बरदाश्त नहीं होता था । " ऐसी भी माँ होती है ...." मीना ने दुखी मन से शीला से पूछा ।

शीला कुछ न बोल पायी । इतने में शीला के पिताजी आये उनके हाथ में कुछ कागज़ थे , शीला के पूछने पर उन्होंने बताया कि ," बिटिया वो मास्टरजी कह रहे थे कि अपने गाँव में हम जैसे बड़ों को भी पढ़ाया जायेगा तो मैं फॉर्म ले आया हूँ । मेरा और तेरी माँ का अंगूठा लगाकर कल मास्टरजी को वापिस दे दूंगा । अब मैं और तुम्हारी माँ भी पढ़ेंगे । "

मीना ने यह सुनकर कहा , " शीला अब तो हंस दे , देख अब तो माँ भी जाएँगी पढ़ने " और फिर हंस दी - " कल से मेरी माँ तुम्हारी माँ को स्कूल ले जाया करेंगी बिलकुल मेरी तरह । "

शीला का हाथ मीना ने कस कर पकड़ लिया । पढ़ाई अब हर घर में नज़र आयेगी ।

माँ के चहरे पर परिवर्तन आ रहा था । उनके लाल चेहरा अब ख़ुशी से लाल हो रहा था ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 798

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2017 at 3:53pm
Dhanyawad vijay nikore ji
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2017 at 3:52pm
Sadar dhanywad Satvinder bhaiya
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2017 at 3:52pm
Dhanywad Adarniya Mahendra kumar ji
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2017 at 3:51pm
Hardik dhanywad Aadarniya Samar bhai ji
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2017 at 3:51pm
Sadar dhanyawad Adarniya mohammad arif ji
Comment by vijay nikore on May 16, 2017 at 1:33pm

अच्छा संदेश देती इस लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 5:52pm
आदरणीया कल्पना दी,शिक्षा के महत्व को दर्शाती बढ़िया प्रस्तुति हुई है,सादर हार्दिक बधाई
Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 8:58am

शिक्षा ग्रहण करने की कोई उम्र नहीं होती. इस सार्थक सन्देश को देती बढ़िया लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीया कल्पना जी. सादर. 

Comment by Samar kabeer on May 14, 2017 at 10:15pm
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,बहुत अच्छा पैग़ाम दे रही है आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on May 14, 2017 at 7:55am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब, शिक्षा के महत्त को रेखांकित करती संदेशप्रद कथा के लिए ढेरों बधाईयाँ स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
17 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service