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भाषा की चुस्ती, उपयुक्त शब्दों का उपयुक्त स्थान पर प्रयोग, वाक्यों के संदर विन्यास से सुसज्िजत यह लघुकथा सरकारी तंत्र पर एक अर्थपूर्ण व तीक्ष्ण व्यंग्य कसने में पूर्णरूपेण सफल सिद्ध हुई है । लघुकथा सरीखी महीन विधा में चंद वाक्य कथा में प्राण फूँक सकने की क्षमता रखते है जैसा कि - अपवाद तो हर जगह होते है।" पान की पीक से दीवार रंगते हुए सेकेट्री बोला। इस वाक्य में 'पान की पीक से दीवार रंगते' का कलात्मक प्रयोग लेखिका की कुशलता का द्योतक है। सादर शुभकामनाएं स्वीकार करें ।
आ. राहिला जी, सरकारी अफ़सर, योजनाओं और उससे जुड़े भ्रष्टाचार पर अच्छा व्यंग्य है. मेरी तरफ़ से इस उम्दा लघुकथा हेतु दिल से बधाई स्वीकार कीजिए.
दृष्टिया = दृष्ट्या
उसने जैसे ही कुछ सामान गिनवाये।
सेकेट्री = सेक्रेटरी
देख लीजिएगा. सादर.
आदरणीय राहिला जी सरकारी योजनाओं की आपने यथार्थ तस्वीर चित्रित की है। इस सार्थक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई।
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