For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धीरे-धीरे नदियाँ रेत बन गईं / कविता

धीरे-धीरे
नदियाँ रेत बन गईं
हरे-भरे खेतों में
ऊँची-ऊँची
अट्टालिकाएँ तन गईं
घरों में अनबन की
दीवारें खड़ी हो गईं
जीते जी बूढ़ी माँ
भुखमरी की निशानी बन गईं
मौसम सनकी
पागल जैसे हो गए
बारिश अब दूर की कौड़ी हो गई
देश
किसान आत्म हत्या का
रोज़ उत्सव मना रहा है
सरकार की
झूठी सफलताओं में
करोड़ों बहाए जा रहे हैं
सरकारी
आँकड़ों में
ग़रीबी रोज़ घट रही है
सरकार की
उद्योगपतियों के साथ
अच्छी पट रही है
किसान
आत्महत्या की
फहचान बन गया है
कर्ज़, भुखमरी की
शान बन गया है
जीते जी उसे
खाद-बीज, भूमि से
वंचित किया जा रहा है
आत्महत्या
करने पर
करोड़ों का
मुआवज़ा दिया जा रहा है ।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 644

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on July 2, 2017 at 1:08pm
आदरणीय विजय निकोर जी आदाब, आपकी टिप्पणी से लेखन सार्थक हो गया । हार्दिक आभार ।
Comment by vijay nikore on July 2, 2017 at 8:18am

वर्तमान स्थिति पर सुन्दर कविता लिखी है। हार्दिक बधाई, आदरणीय आरिफ़ जी।

Comment by Mohammed Arif on June 28, 2017 at 5:05pm
बहुत-बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 28, 2017 at 12:51pm
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब,आज के हालात पर सुंदर कविता हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें
Comment by Mohammed Arif on June 27, 2017 at 7:51pm
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब आदाब, आपको रचना पसंद आई मेरा लेखन सार्थक हुआ । आप जैसे गुणीजनों की इस्लाह से हमारी लेखनी में सुधार होता है । मैं अभी सुधार कर लेता हूँ ।
Comment by Mohammed Arif on June 27, 2017 at 7:46pm
आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी आदाब, आपको रचना पसंद आई लेखन सार्थक हुआ । हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया ।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on June 27, 2017 at 5:42pm
वाहहहह मोहम्मद आरिफ जी आपने अपनी कविता में पर्यावरण बुजुर्ग और किशान की बद से बदतर होती हालत पर बहुत अच्छा प्रकाश डाला है। हृदय से बधाई।
Comment by Samar kabeer on June 27, 2017 at 2:35pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,देश की समस्याओं पर अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
15वीं पंक्ति में 'बना रहा है' को "मना रहा है" करना उचित होगा,इसी तरह 18वीं पंक्ति में 'करोड़ों बहाया जा रहा है' को "करोड़ों बहाए जा रहे हैं" करना उचित होगा ।
Comment by Mohammed Arif on June 27, 2017 at 2:16pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय बृजेश कुमार जी । लेखन सार्थक हुआ ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 27, 2017 at 11:47am
आदरणीय आरिफ जी सुन्दर कविता हुई..सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service