For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तिरंगे की लाज के लिए ....

तिरंगे की लाज के लिए ....



मैं अब तुम्हें
मुड़ के न देखूँगा
अपने बढ़े कदम
विछोह के डर से
न रोकूंगा

जानता हूँ
कितना मुशिकल है
अपनी प्रीत को
दूर जाते हुए देखना
कतरा कतरा
अपने प्यार को
बिखरते हुए देखना
अपने सपनों को
अनजानी भोर की
बलि चढ़ते हुए देखना
पंखुड़ी की जगह
ओस को शूलों पर
सोते देखना

कितनी आँखों से तुम
अपने बहते दर्द को छुपाओगी



सब कुछ जानते हुए भी
मैं न रुक पाऊँगा
अपने दामन से
तेरी गीली आँखें
न पौंछ पाऊँगा

दूर तक जाते रास्तों पर
मेरे कदमों की आवाजों पर
जाने कितनी सांसें की
डोर बंधी है


देख
तेरी सिसकियों की आवाजें
कहीं मुझे
कमजोर न कर दें
तेरे सिन्दूर को
तेरा प्यार
शर्मसार न कर दे


मेरी माटी को
मेरी वर्दी पे नाज है
मेरी वर्दी पे विशवास है
अनगिनित आँखों का
मैं कर्जदार हूँ

मैं अपने घरोंदे की खातिर
लाखों घरोंदों से
विश्वासघात नहीं कर पाऊंगा
तेरी मेहंदी के गर्व को
चकनाचूर न कर पाऊंगा


जाने दे,
मुझे सीमा पर जाने दे
अपनी ख़ामोश आवाज़ों की बेड़ियाँ
मेरे विशवास के पांवों में मत डाल
इस तिरंगे की लाज के लिए
मुझे
जाने दे

हाँ प्रिय,
मुझे
जाने दे

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 10, 2017 at 5:26pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सृजन को अपने आशीर्वाद से मान देने का शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on July 10, 2017 at 5:26pm

आदरणीय सुरेन्दर नाथ सिंह जी सृजन को अपने स्नेहिल शब्दों से उत्साहित करने का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 10, 2017 at 5:26pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन को आत्मीय स्नेह देने का दिल से आभार।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 10, 2017 at 8:52am

जय हिन्द की सेना ... बहुत खूब , आदरनीय देश प्रेम की भावना से पगी आपकी कविता के लिये बधाइयाँ ।

Comment by नाथ सोनांचली on July 9, 2017 at 7:52pm
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। बेहद जज़्बाती देशप्रेम से ओतप्रोत रचना लिखी आपने, पढ़ते पढ़ते खो गया मैं, इस सृजन पर कोटिश बधाइयाँ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 9, 2017 at 6:10pm
आ.भाई सुशील जी ईस भाव पूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई।
Comment by Sushil Sarna on July 8, 2017 at 7:37pm

नमन नमन नमन आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब  ... आपकी पारखी नज़र को सलाम  .... वास्तव ये जल्दबाज़ी का नतीजा है  ... इतनी त्रुटियों की तो मुझे भी शर्मिंदगी है।  इंगित त्रुटियों को मैंने आपके कहे अनुसार संशोधित कर दिया है।  सृजन को आपने अपना  अमूल्य समय देकर उसके भावों और शिल्प को निखारा। ... आपका तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Samar kabeer on July 8, 2017 at 6:39pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत ही उम्दा जज़्बाती,वतन की महब्बत में शराबोर कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
ऐसा लगता है कि ये कविता आपने बहुत जल्दबाज़ी में पोस्ट की है, इसी कारण से शिल्प पर आपकी पकड़ ढीली होगई है ।
जहाँ जहाँ 'तिरेंगे'शब्द आया है उसे "तिरंगे" कर लीजिये ।
17वीं पंक्ति में 'पंखुड़ी के जगह'जगह "पंखुड़ी की जगह"कर लीजिये ।
24वीं पंक्ति 'तेरे आँचल से तेरी गीली आँख'की जगह "अपने दामन से तेरी गीली आँखें"करना उचित होगा ?
36वीं पंक्ति में 'तेरा सिन्दूर' को "तेरे सिन्दूर"कर लीजिये ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
18 hours ago
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
18 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service