आसक्ति …….
परिचय हुआ जब दर्पण से
तो चंचल दृग शरमाने लगे
अधरों पे कम्पन्न होने लगा
पलकों में बिंब मुस्काने लगे ll
काजल मण्डित रक्तिम लोचन
अनुराग निशा से बढ़ाने लगे
कच क्रीडा में लिप्त समीर से
मेघ अम्बर में शरमाने लगे ll
लज्ज़ायुक्त स्वर्णिम कपोल पे
फिर जलद नीर बरसाने लगे
कनक कामिनी की काया पे
मधुप आसक्ति दर्शाने लगे ll
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
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आदरणीय मो.आरिफ साहिब प्रस्तुति को अपने स्नेह से शोभित करने का हार्दिक आभार।
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार।
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