For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल....यार तुम भी कमाल करते हो-बृजेश कुमार 'ब्रज

2122 1212 22
रहबरों से सवाल करते हो
तौबा ये क्या मजाल करते हो

रस्मे उल्फत की बात कर बैठे
काम सब बेमिसाल करते हो

हीर समझा हुई ग़लतफ़हमी
खुद क्यों रांझे सा हाल करते हो

आइने में ये किसकी सूरत है
किसपे दिल ये निहाल करते हो

किसने साये को साथ रक्खा है
किस लिये 'ब्रज' मलाल करते हो
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 921

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 7, 2017 at 3:34pm
आदरणीय आरिफ जी आपका हार्दिक आभार..
Comment by Mohammed Arif on August 7, 2017 at 8:45am
आदरणीय बृजेश जी आदाब,शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 6, 2017 at 9:18pm
सादर नमन आदरणीय गिरिराज जी..आदरणीय समर जी के कहे अनुसार कुछ बदलाव किया है।सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 6, 2017 at 9:17pm
आभार आदरणीय सुरेंदर इंसान जी.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 6, 2017 at 5:18pm

आदरणीय बृजेश भाई , गज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है , हार्दिक बधाइयाँ ! आदरणीय समर भाई जी की बातों का खयाल कीजियेगा ।

Comment by surender insan on August 6, 2017 at 8:43am
आदरणीय ब्रजेश कुमार जी आदाब। बहुत अच्छा प्रयास हुआ है दिली मुबारक़ बाद कबूल करे जी।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 6, 2017 at 7:58am
हौसलाफजाई के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन वंदन आदरणीय सुशील सरना जी..सादर
Comment by Sushil Sarna on August 5, 2017 at 2:54pm

रहबरों से सवाल करते हो
तौबा ये क्या मजाल करते हो

रस्मे उल्फत की बात कर बैठे
यार तुम भी कमाल करते हो

वाह आदरणीय बृजेश जी वाह बहुत ही दिलकश अहसास उतारे हैं आपने ... दिल से बधाई कबूल करें।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 4, 2017 at 11:43pm
उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक़ जी..उचित है कुछ सुधार करता हूँ..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 4, 2017 at 11:41pm
आदरणीय समर कबीर जी सादर अभिवादन..माफ़ कीजिये ये गीत सुना नहीं था इसलिए ऐसा हो गया।सुधार के रूप में "काम सब बेमिसाल करते हो"कैसा रहेगा..तीसरे शैर के सानी को "खुद क्यों रांझे सा हाल करते हो"किया जाये तो उचित रहेगा??चौथे शैर में भी आपकी सलाह सर्वथा उचित है कुछ अच्छा बदलाव करता हूँ..सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service