For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तो क्या हुआ (लघुकथा)

घर के बाहर खुले आंगन में चेहरा लटका कर बैठे देख उसकी माँ ने उसके पास जाकर उसके सिर पर हाथ रखा और कहा, "परेशान मत हो, अगली बार बेटा ही होगा।"

 

"नहीं माँ, अब बस। दो बच्चे हो गए हैं, तीसरा होने पर इन दोनों बच्चियों की परवरिश भी अच्छी तरह नहीं कर पाऊंगा।" वहीँ पालने में सो रही अपनी नवजात बेटी को देखते हुए उसने उत्तर दिया।

 

माँ के पीछे-पीछे तब तक आज ही हस्पताल से लौटी अंदर आराम कर रही उसकी पत्नी को तरह-तरह के निर्देश देकर कुछ और महिलायें भी बाहर आ गयीं थीं। उनमें से एक ने सिर नचाते हुए कहा, "ऊपर वाले की मर्जी होगी तो बुढ़ापे की लाठी आ ही जायेगा।"

 

दूसरी महिला भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, उसने आँखें छोटी कर कहा, "वंश को बढ़ाना तो है ही..."

 

उसने उत्तर दिया, “नहीं ऐसी कोई बात नहीं... मेरी तो बेटे की सिर्फ इच्छा थी, वंश और बुढ़ापे का इससे क्या...”

 

"क्या पहले जांच नहीं करवाई थी?" तीसरी महिला ने उसकी बात काट कर भवें मचकाते हुए समझदारी भरे स्वर में कहा।

 

वह हल्का सा चौंका और उस महिला से पूछा, "कैसी जांच?"

 

महिला फुसफुसाते हुए बोली "जिससे पता चल जाता है कि लड़का है या लड़की?"

 

सुनते ही वह सख्त शब्दों में बोला, “पता चल जाता तो फिर...?”

 

“तो फिर...” लड़खड़ाते शब्दों में कहते वह महिला उससे आँख चुराने लगी।

 

और उसी समय उसकी नवजात बेटी ने ज़ोर की किलकारी मारी।

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 506

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 30, 2017 at 11:57am

आप सभी आदरणीयजनों का रचना पर टिप्पणी कर मेरी हौसला अफज़ाई और मार्गदर्शन के लिए बहुत-बहुत आभार

Comment by Mohammed Arif on August 7, 2017 at 8:48am
आदरणीय चंद्रेश जी आदाब , सकारात्मक को बढ़ाने और सोचने पर विवश करती कथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 4, 2017 at 10:55pm
// “पता चल जाता तो फिर...?” // .. तो फिर क्या ये महिलाएं उसकी पत्नी को कुछ देसी 'घरेलू नुस्ख़े' सुझातीं गर्भपात के या कन्या जन्मते ही कुछ हिंसात्मक कर गुजरने के पारंपरिक तरीक़े सुझातीं; जिस तरह की अभी-अभी कुछ समझा कर बाहर आयीं थीं? महिलाओं के कटाक्षपूर्ण संवादों के जवाब में पति के तीखे सवाल के पुनः उत्तर में किये गये सवाल के जवाब ने पाठकों को सोचने पर मज़बूर कर दिया। बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी जी। दूसरी सन्तान बेटी ही हुई, तो क्या हुआ? सकारात्मक संदेश वाहक रचना।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 4, 2017 at 6:16pm
जनाब चंद्रेश कुमार साहिब ,सुंदर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Comment by Samar kabeer on August 4, 2017 at 6:11pm
जनाब चन्द्रेश कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service