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आदरणीय सतविन्द्र जी अच्छी गजल कही आपने मुबारबाद पेश करते है । आदरणीय समर साहब का कहना सही है हक़ काफिया उर्दू के अनुसार गलत हो जाएगा पर हम सब अभी हिन्दी कोआधार मानकर गजल पर प्रयास कर रहे है इसलिये उर्दू की जानकारी के अभाव में इस तरह की गलती होना स्वाभाविक है । हमने इसी लिय पिछले कुछ समय से उर्दू सीखना शुरू कर दिया है । पर नियमित अभयास नहीं हो पा रहा है । आदरणीय गिरिराज भाई जी की बात पर भी ध्यान दीजियेगा ।
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