For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - क्यों भला दंड वत हुआ जाये ( गिरिराज भंडारी )

2122   1212   22/112

अब यहाँ पर विगत हुआ जाये

या, जहाँ से विरत हुआ जाये

 

खूब दीवार बन जिये यारो

चन्द लम्हे तो छत हुआ जाये

 

कोई खोले तो बस खला पाये

प्याज़ की सी परत हुआ जाये

 

ताब रख कर भी सर उठाने की

क्यों भला दंड वत हुआ जाये

 

आग, पानी , हवा की ले फित्रत 

हैं जहाँ, जाँ सिफत हुआ जाये

 

खूबी ए  आइना बचाने को 

क्यूँ न पत्थर फ़कत हुआ जाये

******************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 1231

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 9, 2017 at 7:40am

आदरणीय नीरज भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by Ravi Shukla on August 8, 2017 at 5:42pm

आदरणीय गिरिराज भाई जी अपके शेर तक पहुचे शंका समाधान के लिये धन्‍यवाद और आदरणीया राजेश जी आपका भी आभार

Comment by Niraj Kumar on August 8, 2017 at 5:16pm

आदरणीय गिरिराज जी,

अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद,

'लम्हे' वैसे ही एक ही साथ बहुवचन और एक वचन दोनों में इस्तेमाल  किया जा सकता है जैसे 'क्षण'. उदाहरनार्थ दो वाक्य :

१. एक से क्षण (एक वचन)  से बहुत सारे क्षण (बहु वचन) जुड़े होते हैं.

२. एक लम्हे(एक वचन) से बहुत सारे लम्हे (बहुवचन) जुड़े होते है.

जाहिर सी बात है अनुस्वार अनावश्यक था. लेकिन बहुवचन के तौर पर 'लम्हा' को 'लम्हे' या वाक्य की जरूरत हो तो 'लम्हों' लिखना बेहतर है. लम्हा का बहुवचन 'लम्हात' लिखना वैसा ही है जैसे क्षण को बहुवचन के तौर पर क्षणाः लिखना.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 8, 2017 at 4:46pm

आदरनीय सुरेन्दर भाई , गज़ल की सराहना के लिये  आपका हृदय से आभार ।

आदरनीय , मतले को देखियेगा तो पता चलेगा , कि गज़ल  अत काफिया  निर्धारित कर के कही गयी है ---  विगत हुआ जाये और विरत हुआ जाये ...  दोनो मे अत काफिया है ,

इसी लिये -- क्यूं न पत्थर फ़क़त हुआ जाये   -- कहा गया है , ता कि अत काफिया की शर्त पूरी हो सके । आशा है आप समझ गये होंगे ।

Comment by surender insan on August 8, 2017 at 3:34pm
आदरणीय गिरिराज भाई जी आदाब। सभी अशआर बहुत उम्दा हुए है जी। शेर दर शेर दिली दाद कबूल फरमाये जी। आदरणीय अभी मैं सीख रहा हूँ जी। केवल सीखने के भाव से ही जानकारी के लिए पूछ रहा हूँ जी अन्यथा न लीजियेगा जी।
आदरणीय आखरी मिसरे में
सही वाक्य कैसे बनता है

क्यूं न पत्थर फ़क़त हुआ जाये
या
क्यूँ न फ़क़त पत्थर हुआ जाये

आदरणीय क्या दोनों ही तरह से मिसरा कहे तो सही होता है या जो आपने लिखा वही सही है जी ?
मेहरबानी कर थोड़ी जानकारी दे जी। सादर नमन जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 8, 2017 at 2:28pm

आदरणीया राजेश जी , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका । आ. रवि भाई जी के प्रश्न का जवाब देने के लिये आपका अलग से आभार .. मै भी यही जवाब देने वाला था ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 8, 2017 at 2:26pm

आदरणीय रवि भाई , गज़ल की सराहना के लिये दिल से शुक्रिया आपका ।

आदरनीय .. शेर मे  चूकि कर्ता मै खुद हूँ .. इस्लिये ...  छत हुआ जाये   कहा है .. यहाँ कर्ता  छत नही है । मिसरा मेरे खयाल से ठीक है ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 8, 2017 at 2:23pm

आदरनीय बृजेश भाई , हौसला अफज़ाई का बेहद शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 8, 2017 at 2:23pm

आदरनीय बसंत भाई , हौसला अफज़ाए का बेहद शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 8, 2017 at 1:42pm

बहुत खूब ग़ज़ल कही आद० गिरिराज जी ,ग़ज़ल पर आई प्रतिक्रियाएँ भी पढ़ी तथा ज्ञान में इजाफा भी हुआ |सब अपनी अपनी जगह सही हैं|हम हिंदी भाषियों के लिए ये समस्याएं आती रहती हैं |

मेरी बधाई स्वीकार करें इस सुन्दर ग़ज़ल पर |

और हाँ छत को लेकर आपका मिसरा मेरे ख्याल से तो सही है क्योंकि बात अपने लिए कही गई है छत के लिए नहीं ----कुछ लम्हे छत (की तरह) हुआ जाए -----  बिलकुल सही है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service