For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुनने वाली मशीन

अस्सी वर्षीय बाबू केदार नाथ ने अपने कानों में सुनने वाली मशीन लगाकर मफ़लर लपेट लिया| आईने में खुद को देखकर आश्वस्त हुए| मशीन पूरी तरह मफ़लर के नीचे छिप गया था| अब उन्होने पुराना टेप रिकार्डर निकाला और प्रिय गाना बजा दिया|

बरेली के बाज़ार में झुमका गिरा रे-कमरे में आशा भोसले की नखरीली आवाज़ गूंज उठी|

बाबू केदारनाथ के होंठो पर एक प्यारी सी मुस्कान खेल गई|

अजी सुनते हो! उनके कानो से एक तेज कटार सी आवाज टकराई|

अपने बाउजी को समझाते क्यों नहीं, जब से दीदी के यहाँ से लौटे हैं, अजीब हरकते हो गईं हैं इनकी तो|

क्या हो गया, गाना ही तो सुन रहे हैं| यह बेटे की आवाज़ थी|

अरे!! सुनाई देना कब से बंद हो गया है| पहले अच्छे खासे अपने कमरे में पड़े रहते थे
अब तो जब देखो कैसेट पर कुछ भी बजा देते हैं, कान पक गए सुनते- सुनते झुमका गिरा रे|

बाबू केदार नाथ एक बार फिर मुस्कुराए और नाश्ते की मेज पर जाकर बैठ गए|

फिर वही दलिया! उन्होने मुंह बनाया

प्रतिउत्तर में बहू  कर्कश स्वर में श्वसुर के मौत की कामना करने लगी|

इस बार वह नहीं मुस्कुरा सके| चुपचाप ड्राइंग रुम में जाकर बैठ गए और अखबार पढ़ने लगे | वहाँ बेटा फोन पर किसी से बात कर रहा था|

-जमीन भले ही बाबूजी के नाम पर है लेकिन उन्हें बताएगा कौन? जब तक बात खुलेगी तब तक वह ऊपर सिधार चुके होंगे| आप तो कागज तैयार करवाइए| वह प्लॉट बेचनी ही है किसी भी सूरत में|

बदन में एक झुरझुरी सी उठी| वह धीरे से उठे और छड़ी टेकते निकट स्थित झील किनारे टहलने लगे| मगर आवाजें पीछा नहीं छोड़ रह थीं| तभी फोन की घंटी बजी| जेब से फोन निकालकर देखा तो डिस्प्ले पर आ रहा था दामादजी कॉलिंग| उन्होने फोन काट दिया| आँखेँ बरसने लगीं| दूर कहीं कोई चिड़िया बोली| बाबू केदारनाथ अंतिम बार मुस्कुराए और कानों से सुननेवाली मशीन निकालकर  झील की तरफ उछाल दिया| हल्की छपाक की आवाज कानों से टकराकर चूर-चूर हो गई। श्रवणद्वार मजबूती से बंद था|  वह बस पानी में बना वर्तुल देखते रहे थे  जो कुछ पल में शांत हो गया| काँपते हाथों से फोन पर संदेश टाइप करने लगे –सुनने वाली मशीन दिलाने के लिए बहुत बहुत आशीर्वाद बेटे| मगर अब वह मेरे पास नहीं है, क्योंकि जब मैं नहीं सुन पा रहा था तब कहीं ज्यादा सुखी था|

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 901

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prabhakar on August 15, 2017 at 6:57pm

बहुत प्रभावशाली लघुकथा लिखी है आदरणीय सारिका जी । अत्‍यंत प्रभावशाली कथानक और उससे सी बढ़ीया प्रस्‍तुतिकरण । बुज़ुर्गों की उपेक्षा जैसी सामाजिक समस्‍या को बाखूबी उभारती इस लघुकथा में जो दृश्‍य निर्माण किया है वह काबिले तारीफ है । और लघुकथा का अंत में दूर से चिड़ीया की आवाज़ को सुनने के बाद मशीन को झील में फैंक देना और पानी में बना वर्तुल देखने जैसे प्रतीकों का कुशल प्रयोग लघुकथा को नए आयाम प्रदान कर रहा है । लघुकथा जिस प्रकार धीरे धीरे शिखर पर पहुंच कर अंत में एकदम से धमाका करती है वह लेखकीय कौशल का शानदार नमूना है । हार्दिक शुभकामनाएं स्‍वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on August 15, 2017 at 4:07pm

अच्छी लघु कथा के लिए बधाई

Comment by Samar kabeer on August 13, 2017 at 6:22pm
सारिका जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on August 13, 2017 at 6:22pm
आदरणीया गुल सारिका जी आदाब,ओबीओ मंच पर पहली बार आपकी लघुकथा से संवाद कर रहा हूँ। बुजुर्गों की समस्या , उपेक्षा भाव पर प्रभावशाली प्रस्तुति । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Manisha Saxena on August 12, 2017 at 11:06am

बहूत बढ़िया सारिका जी ,बुज़र्गों की व्यथा का चित्रण बढ़िया हुआ है |बधाई |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 11, 2017 at 5:31pm

घर के बुजुर्गों की पीड़ा को बहुत अच्छे से चित्रित किया है आपने आदरणीया | हार्दिक बधाई |

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 11, 2017 at 5:24pm
बेहतरीन शिल्पबद्ध प्रवाहमय सशक्त भावपूर्ण यथार्थपूर्ण प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय Gul Sarika Thakur जी। इशारों में अतीत व वर्तमान परिदृश्य को बाख़ूबी शाब्दिक करती रचना। मशीन/मफ़लर//गाना/मुस्कान/ताने/तानों की उपेक्षा/फिर ताने/फोन/ज़मीन/ज़मीर/मशीन फेंकना/छपाक/बंद श्रवण द्वार/ वर्तुल/ संदेश व दुःख के सागर में सुख की नैया .... वाह बुजुर्गों की समस्याएँ उभारती व स्वार्थी पीढ़ी को चित्रित करती बेहतरीन रचना। आपकी अन्य रचनाएँ/लघुकथायें पढ़ना चाहता हूँ।

- शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी म.प्र.
(११/८/२०१७)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service