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आप क्या हैं इसे जानता कौन है

212 212 212 212
पूछिये मत यहां गमज़दा कौन है ।
पूछिये मुद्दतों से हँसा कौन है ।।

वो तग़ाफ़ुल में रस्में अदा कर गया ।
कुछ खबर ही नहीं लापता कौन है ।

घर बुलाकर सनम ने बयां कर दिया ।
आप आ ही गये तो ख़फ़ा कौन है ।।

इस तरह कोई बदला है लहजा कहाँ ।
आपके साथ में रहनुमा कौन है ।।

आज तो बस सँवरने की हद हो गई ।
यह बता दीजिए आईना कौन है ।।

अश्क़ आंखों से छलका तो कहने लगे ।
ढल गई उम्र अब पूंछता कौन है ।।

यूँ भटकता रहा उम्र भर इश्क में ।
पूछता रह गया रास्ता कौन है ।।

मैंने ख़त में उसे जब ग़ज़ल लिख दिया ।
फिर सवालात थे ये लिखा कौन है ।।

दीजिये मत खुदा की कसम बेसबब ।
अब खुदा को यहां मानता कौन है ।।


है जरूरी तो घर तक चले आइये ।
आप क्या हैं इसे जानता कौन है ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2017 at 8:08am
जनाब आरिफ साहब तहे दिल से शुक्रिया
Comment by Mohammed Arif on September 7, 2017 at 7:49am
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, बेहतरीन तरही ग़ज़ल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की बातों पर गौर करें ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 6, 2017 at 11:40pm
आ0 कबीर सर सादर नमन और आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 6, 2017 at 11:39pm
आ0 तस्दीक़ अहमद खान साहब शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 6, 2017 at 6:49pm
जनाब नवीन साहिब ,ग़ज़ल की कोशिश की है आपने, मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । मुहतरम समर साहिब के मश्वरे पर ध्यान जरूर दें
Comment by Samar kabeer on September 6, 2017 at 6:20pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ओबीओ के पुराने तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
चौथे शैर में भाव स्पष्ट नहीं है,क्या कहना चाहते हैं आप ?
छटे शैर में पूंछता को 'पूछता' कीजिये ।
सातवें शैर में रदीफ़ से इंसाफ़ नहीं हुआ ।
आठवें में भी रदीफ़ से क़ाफ़िए का रब्त नहीं है,देखियेगा ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 6, 2017 at 6:39am
आ0सुरेंद्र नाथ कुशक्षत्रप जी सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 6, 2017 at 6:38am
आ0 शेख शहज़ाद साहब शुक्रिया
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 6, 2017 at 6:31am
आ0 सुशील सरना जी आभार
Comment by नाथ सोनांचली on September 6, 2017 at 4:19am
बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय नवीनमणि त्रिपाठी जी।

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