Comment
आ. रामबली जी, आपको यह ग़ज़ल कई बार पढ़नी पड़ी इसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ. बाकी आपकी बात से सहमत हूँ. आपका बहुत-बहुत आभार. सादर.
आ. सुरेन्द्र जी, आपका बहुत-बहुत आभार. सादर धन्यवाद.
आ. समर सर, सादर आदाब. यह सच है कि मैंने अपनी पूर्व टिप्पणी में उन सभी शेरों का अर्थ स्पष्ट करने की कोशिश की थी जिसका आपने ज़िक्र किया था लेकिन इसे बचाव कहना अनुचित होगा. मैंने यह सिर्फ इसलिए किया कि एक तो आपने कुछ शेरों का अर्थ पूछा था दूसरा, मुझे लगा कि जब आप इस टिप्पणी का प्रयुत्तर देंगे तो मैं कहाँ गलती कर रहा हूँ यह स्पष्ट हो जाएगा. यदि ऐसा न होता तो मैं एक शेर को हटाने और कुछ शेरों पर आपकी पुनः प्रतिक्रिया जानने की कोशिश न करता. सर, मैं अपनी किसी भी रचना से पूर्णतः संतुष्ट कभी नहीं होता फिर इस ग़ज़ल के अशआर से कैसे होऊँगा. मुझे इस ग़ज़ल में जो मेरी गलती समझ में आयी है वो यह है कि जो मैं कहना चाहता था वह कुछ तो (शेर में) कह पाया और कुछ मेरे ही अन्दर रह गया. इसका आपने अपनी टिप्पणी में ज़िक्र भी किया है और मैं इससे सहमत हूँ. आख़िर शाइर कहाँ-कहाँ अपने शेरों की तशरीह करता फिरेगा. मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि भविष्य में ऐसा बिल्कुल न हो. रही ग़ज़ल फाड़ने की बात तो आप मेरी ग़ज़ल सिर्फ फाड़ ही नहीं सकते बल्कि दो हाथ भी जमा सकते हैं. :) आपको पूरा हक़ है. सादर.
बहुत-बहुत शुक्रिया आ. बृजेश जी. सादर धन्यवाद.
आ. गिरिराज सर, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया का हृदय से आभारी हूँ. आ. समर सर की सलाह हम लोगों के संजीवनी की तरह हैं, उन्हें कैसे अनदेखा किया जा सकता है. //आदरनीय सभी की सलाहें एक सी हों ज़रूरी नही है ... आप क्या चुने ये आपका अधिकार है पर चुने वही जो आपको बेहतरी की ओर ले जाये ...।// इस बात के लिए आपका विशेष आभारी हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online